गांधी विचार दोहन | Gandhi Vichar Dohan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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खंड १ : : धर्म द २. जो सत्य है वही दूरदर्शी दृष्टिसि हितकर अथवा श्रेष्ठ है। इसलिए सत्य अथवा सत्‌का अथं श्रेष्ठ भी होता हं; ओर संत्य आग्रह, सत्य विचार, सत्य वाणी भौर सत्य कमं जो वस्तु ह वही सदाग्रह, सद्विचार, संद्वाणी ओर सत्कमं हं । ३. जिन सत्य ओर सनातन नियमोद्ारा विदवका जड-चेतन. कार- बार चलता ह, उनकी अविश्नांत खोज करते रहना तथा उनके अनुसार अपना जीवन गढते रहना ओर असत्यका सत्यादि साधनोद्रारा प्रतिकार करना सत्याग्रह है । ४. जो विचार हमारी राग-द्रेष-विहीन, निष्पक्ष तथा श्रद्धा भौर भक्तियुक्त बुद्धिको सदाके लिए, या जिन परिस्थितियोंतक हमारी दृष्टि: पहुंच सकती हं उनमें यथारक्य अधिक समयतकके लिए, उचित और न्याय्य प्रतीत हो, वह्‌ हमारे लिए सत्य विचार ह्‌ । - ५. जो वाणी तथ्यको अपनी जानकारीके अनसार क्तेव्य आ पडने- पर ठीक-ठीक सामने रखती है और उसमें कुछ कमी-बेशी करनेका यत्न नहीं करती, कि जिससे अन्यथा अभिप्राय भासित हो, वहु सत्य वाणी है । ६. विचारसे जो सत्य प्रतीत हो उसीके सविवेक आचरणका नाम सत्य कमं हं । ७. पर सत्य जौ परमेश्वर हं उसे जाननको अपर सत्य साधन ह यह कहिए अथवा सत्य आग्रहु, सत्य विचार, सत्य वाणी ओौर सत्य कमेंकी- यानी अपर सत्यके पालनको-पूणे सिद्धिका ही नाम परमेश्वरका साक्षा- त्कार ह यह कह लीजिए । साधकके लिए दोनोमें भेद नहीं हं । २ अहिंसा १. साधारणत: लोग सत्य अर्थात्‌ 'सत्यवादिता' , इतना ही स्थूल अथं लेते है । परंतुसत्य-वाणीमें सत्यके पालनका पुरा समावेश नहीं होता । ऐसे ही साधारणतः लोग दूसरे जीवको न मारना, इतना ही अहिसाका स्थूल




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