हिन्दी पुस्तक - साहित्य | Hindi Pustak Shahity

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Hindi Pustak Shahity by माताप्रसाद गुप्त - Mataprasad Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १३ ) सुधार की भी संभावना हो सकती है! किन-किन विषयों का समावेश मैंने किस-किस वग में किया है प्रस्तुत पुस्तक के उपयोग के लिए यही जानना यधथेष्ट होगा, और वह भूमिका के सिंहावलोकन की विषया नुक्रमणिका क) देख कर हृदयंगम किया जा सकता है। आभार प्रदर्शन शेष है । सबसे पहले मैं झतश् हूँ इपी रियल रेकॉड्‌स झाफ़िस, दस्ली के श्रध्यन्त डा० सुरेन्द्रनाथ सेन तथा उनके विभाग के कमंचारियों का जिन्हौने मुभे समस्त प्रान्तों ॐ १८६७ से १६४१ तक के गज्ञट देखने की संपूण सुविधाएँ प्रदान की । १६४२ तथा १६४३ के शेष श्रावश्यक गज़ट मैंने कलकत्ता को इंपीरियल लाइब्ररी में देखे, इसलिए उक्त लाइब्रेरी के भी श्रध्यक्ष तथा कमंचारियों का मैं श्ननु- गृहीत ह| अपने प्रान्त के श्रधिकतर गन्नट मैने प्रयाग विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी तथा स्थानीय पब्लिक लाइब्रेरी में देखे । इन लाइब्रेरियों के झध्यक्षों और कमंचारियों का मैं वाधित हूँ । पुस्तकालयों श्र उनके सूची पत्रों के उपयोग के संबंघ में हिंदी साहित्य-सम्मेलन-संग्रदालय तथा पुनः प्रयाग विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी के श्रधघिकारियों का उपकृत हूँ, जिन्होंने झपने समस्त सूचीपत्र और संग्रह मेरे उपयोग के लिए सुलभ किए, । नागरी-प्रचारिशी सभा काशी के श्रायभाषा पुस्तकालय के नवीन सूचीपत्र का उपयोग न कर सका इसका मुझे खेद है । सन्‌ १६४३-४४ में बहुत सी लिखा-पढ़ी के श्रनंतर भी प्रस्तुत काय के लिए वहाँ के श्रधिकारी उसे एक सप्ताहकेलिएमभी नदे सके, यद्यपि उसकी दो टाइप की हुई प्रतियाँ उनके पास थी, शरोर उनके पा उसका एक काडटं-इन्डेक्स भी था। प्रकाशन के संबंध में हिन्दुस्तानी श्रकेडेमी, यू० पी° के श्रधिका- रियों का इदय से झतश हूँ, जिन्होंने इस ग्रंथ को प्रकाशित कर हिंदी जनता के लिए इसे सुलभ किया । इस अ्रंथ के लिए प्रेस कापी तैयार करने में मेरे एक पू्वछात्र श्र इस समय प्रयाग विश्वविद्यालय के दिंदी विभाग में रिसचं-स्कालर शी रामसिंद तोमर तथा पुस्तक-श्ननुक्रमशिका तैयार करने में मेरे एक




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