आज का भारतीय साहित्य | Aaj Ka Bharatiy Sahity

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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असमिया ५ नाथ बेजबरुप्रा सबसे अधिक सब्यसाची थे । वे उत्तम कवि तथा महान निबंधकार होने के साथ-साथ विख्यात पत्रकार भी थे । उनकी कविता ने सब रूढ़ शंखलाओं को तोड़ दिया । उन्होंने न केवल भाव-जगत में एक नवीन स्वर दिया था, अपितु वे ताजे साहित्य-रूप ओौर शैलियों को भी शुरू करनेवाटे थे । प्रेम-गीत, प्रकृति-विषयक कविता, ग्राख्यान- काव्य, तथा वीर-काव्य उनकी विशेष देन हैं । उनके देदाभक्तिपूर्ण गीतों और कविताश्रों में (उदाहरणार्थ “अ्रमोर जन्मभूमि', 'मोर देश', असम संगीत' श्रौर 'बीन बैरागी' में) लक्ष्मीनाथ ने अ्रसमिया संस्कृति और इतिहास की महत्ता को बड़ी उमंग श्रौर उच्छवसित आशंसा से वर्णित किया है । बेजबरुभ्रा की राष्ट्रीय भावनाओं को अतीत के रोमांटिक आदर्थीकरण ने उत्प्ररणा दी, ग्रौर उन्होने भ्रपनी रचनाओं में श्रसम की उस भावी प्रगति में ग्रटूट झ्रास्था प्रकट की, जो केवल राजनीतिक श्रौर भौतिक ही नहीं, सौदयं समन्वित एवं नैतिक भी होगी । देश-भक्िपू्णं कविता के दूसरे लेखक कमलाकान्त भट्टाचार्य हैं । कमलाकान्त की देश-मविति केवल एक विस्मृति श्रौर नींद में डूबे हुए देश को श्रपनं ्रतीत सांस्कृतिक गौरव की दिशा में जगाने के लिए नहीं थी, बल्कि उनका उद्देश्य देश में लोकतन्त्रात्मक शासन की श्रावश्यकता सिद्ध करना भी था । कमलाकान्त के चिता' और “'चिंता-तरंग' नामक दो प्रसिद्ध काव्य ह्‌ । स्वतन्त्रता के श्रभाव श्रौर उसके कारण हुई देश की ददशा को उन्होने बहुत गहराई के साथ अनुभव कियाहै। चन्द्रकुमार भ्रगरवाल ने करई सुकोमल पद्य लिखे, जो प्रव प्रतिमाः और 'बीन बंरागी' नामक काव्य-संग्रहों में संकलित है । इन पर फ्रांसीसी दारंनिक ्रागस्ट कौत श्रौर वेष्णवों के मानवता की पूजा के सिद्धांत का प्रभाव है । दुर्गेश्वर शर्मा श्रौर नीलमणि फूकन श्राध्यात्मिक विचारों वाले दो श्रौर कवि है । दार्शनिक केव दुगेरवर दार्मा का प्रधान विषय आत्मा भ्रौर परमात्मा, तथा व्याकुल श्रात्मा की श्रात्म-ज्ञान के लिए शाइवत श्राकांक्षा है। नीलमणि फूकन की कविताश्रों में भावों की




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