प्यारे साथियों को जड़ मूल से क्रान्ति भाग - 1 | Pyare Sathiyon Ko Jad Mool Se Karanti Bhag - 1

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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क्रान्तिकी कठिचाजियों ९९ मान लीजिये कि लोगाका समयानेमे हम सफल होते है, तो वादम आचारी कठिनामि्यां खडी होंगी । हजारो अल्मारियां भर सके; भितना विना हमारा देव गुरुप्ूजा और भक्तिका साहित्य, पूजा और यजोंकी छमावनी विधियाँ, हजारों सन्दिग, अनकी वेशुमार सम्पत्ति वगेराका विसर्जन ऊरनेके चयि कहेकी यह वात है । जिन सके प्रति रहनेवाला मोह, शिनपर रहनेवाली हमारी द्य, कला ओर सुन्दसताकी भावना किस तरह छूट सकती है? यह वात अपने हाथो अपने रीरकी चमड़ी अतारने जैसी कठिन है । प०. जवाहरलाल ज्ते बुद्धिस आस्व चारेम नास्तिकभाव रखनेबाले व्यक्तिको भी कमला नेहरू अस्पताल्के खात सुहू्तके वक्त और जिन्दिराको गादोमे सारे वैदिक कमेकाण्ड करानेमे रस मालूम हुआ । मक्काकी मस्जिदमेसे ३६० देवताओंको हृटाते वक्‍त मोहम्मद साहवको जितनी कठिनाओ हुआ होगी, झुससे हजार गुनी कठिनाओ भिस कामम है | यद देते हु भी. ज्व जिन्सानकी धम वदलनेमे श्रद्धा होती है, तद जैसा करनेकी झुसमे ताकत ा जाती है । मगर यह तो ज्व टो, तकी बात रही | ससे पटले से विचारकि प्रचारकको यह समझ लेना चाहिये कि जिससे जवरदत्त सामाजिक कलह पेदा दना समव है । अचुके कहे सुताविक जिसमे मां-वाप और लड़कोंकि वीच, पति-पर्लीके दीच. भाओआी-भार्जीके बीच झगडा लो सकता है ] क्रान्तिकारी भके अर्दिसिक रहे, श्षमामावसे सब कु सट्ता रहे, मगेर स्वाथको धम्का रगनेके कारण या प्रचलति मान्यताकी सचाओमे ज्वरटस्त श्रद्धा होनेके कारण यह वातं जिने शले न झुतरे, झुसके वारेमे यह विश्वासपरवक नहीं कदा जा सकता कि चह भी अर्ति तरिते दी विरोध करेगा । वीद्ध, जिस्लास, आऔसाओ या हमारे ढेडके सामान्य क्रान्तिकारी सम्प्रदाय चलानेवारलेको जसे जुल्मों और सुसीवर्तोंका सामना करना पड़ा; वेसे ही जिसे भी करना पड । सिफ यट कडवा शट तभी रक्ते नीते उतर सकता है, जव यह सम ल्या जाय कि क्रान्तिकारीनी कित्मतमे ही यह चीज ल्सिी होती है । मगर जितनेसे ही कठिनाजियोंका अन्त नहीं हो जाता 1 सारी मुष्किलोॉंका सामना करने वाद मी यट योजना हिन्दुस्तानमें कभी सफल हो सकती हैं या नहीं. जिसमे शक ही है ।




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