गौरवशाली जीवन | Gauravshali Jeevan
श्रेणी : स्वसहायता पुस्तक / Self-help book
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
130
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विश्वास ओर साहस
रूप से निश्वय दी अपने स्वभाव के उत्तम गुणं का
त्याग और दमन करना चाहिए उन्हें शान्ति और
सुख का क्या आनन्द मिल सकता है! उन मे साहस
ओर वलका किस प्रकार संचार हो सकतादहै!जो
व्यक्ति यह समस्ता है कि पाप पुण्य से अधिक प्रबल
होता है और पापी व्यक्ति ही जीवन से अधिक आनंद
का उपभोग करते हैं, वह अब भी पाप के तत्वों सें
फसा इचा है ओर इस दशा में उस की पराजव
होती है और निश्वय-पूवंक होनी चाहिए ।
यह आप को दिखलाई पड़ सकता है कि संसार
पापाचारो के सन्पुख सिर सुकाए हुए है; पापी फलते
फूलते हैं और पुण्यात्या असफल होते हैं; सर्वत्र केदल
दाव, अन्याय ओर अव्यवस्था ही दहै; किन्तु इन बातों
पर कभी भी विश्वास न कीजिए; इन वातां को माया-
जाल समभिःए; यह् परिणाम निकालिए कि आप
जीवन को उस रूप में नहीं देख रहे हैं जैसा यथार्थ
मे वह है, आपने सव वातों के मूल कारणों को
नहीं दूंढ़ निकाला है, ओर जव आप अधिक निर्मल
हृदय ओर अधिक् विवेकं पृणं मस्तिष्क से जीवनं
पर दृष्टि डाल सकेंगे तो आप उसकी समदर्शिता को
१.५
User Reviews
No Reviews | Add Yours...