जय भारत | Jay Bharat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
492
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तरंगों पर. मूलती-सी निकली ,
करी-कुम्मी यहाँ हलत-सी निकली 1
त्व मेरा, जो मिली न शची भामिनी ,
दी मेरी सखी भीतर की स्वामिनी 1
वैरी तेजस्िनी धामिजात्य-प्रमलयं ,
सुनीरसेर्यो पीर स्यो कमला ।
और पर्च-ता त्वचा का श्रद्र पटथा,
ट सूप दूने वग से प्रकट था |
7 वके श्ंग धने दीर्घ कष-भार् से,
ग फलक किन्त तीकण ध्रति-धार से।
रत्ति लाघव तुरांगनाधों ने धरा ,
सुगौरव तो. वासवी ने ही मरा 1
[ली उसकी वा गंगाजल ही घुला ,
घुलती थी जहाँ सोना भी. यहाँ घुला ।
ल्य बूँदें टपकी नो बडे बालों से .
था. विष वा अमृत वह व्यालों से 1
हैं. लहरें रमी तके मुभे वहा,
थल -वायु तीनों पानेच्छुक थे रव्य ।
ही जहो का वना वैसे एक तपना ,
मैं कैसे वहाँ श्रन्तःपुर भना ।
सिचा-सा रहा उद्धत प्रथम मैं ,
निस श्रोर गया हाय | गयारम मैं 1
शची के लिए वात थी विषाद् करी,
छमा म धराज श्रपने प्रमाद की ।
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