1343 मेरी कहानी ग्रन्थ -73 (1936) | 1343 Meri Kahani Granth-73 (1936)

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1343 Meri Kahani Granth-73 (1936) by हरिभाउ उपाध्याय - Haribhau Upadhyay

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हरिभाऊ उपाध्याय का जन्म मध्य प्रदेश के उज्जैन के भवरासा में सन १८९२ ई० में हुआ।

विश्वविद्यालयीन शिक्षा अन्यतम न होते हुए भी साहित्यसर्जना की प्रतिभा जन्मजात थी और इनके सार्वजनिक जीवन का आरंभ "औदुंबर" मासिक पत्र के प्रकाशन के माध्यम से साहित्यसेवा द्वारा ही हुआ। सन्‌ १९११ में पढ़ाई के साथ इन्होंने इस पत्र का संपादन भी किया। सन्‌ १९१५ में वे पंडित महावीरप्रसाद द्विवेदी के संपर्क में आए और "सरस्वती' में काम किया। इसके बाद श्री गणेशशंकर विद्यार्थी के "प्रताप", "हिंदी नवजीवन", "प्रभा", आदि के संपादन में योगदान किया। सन्‌ १९२२ में स्वयं "मालव मयूर" नामक पत्र प्रकाशित करने की योजना बनाई किंतु पत्र अध

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ई०-पूरण ओर पच्छिम में छोकतन्त्र ई?--नैराश्य ६२--विकट समस्याये ६३-ृदय-परिवतेन या बल-प्रयोग ६४-- फिर देददून-जेल मे ६(-- ग्यारह दिन ६६-फरिजेरमें द७-छुछ ताज्ञी घटनाय ह्ठ--उपसंहार --छुछ भोर --परिशिष् 0 क--२६ जनवरी १६३० पणं स्वाधीनपता-दिवसः का प्रतिज्ञा-पतर । *ख--यरबड़ सेर जेर पुना से सर तेजबहादुर सप्र ओर श्री अयकर को त्ता० १४८ अगस्त को कॉँप्रेस नेताओं द्वारा छिखा गया पत्र, जिसमें सुखद की शर्तें थीं । ग--२६ जनवरी १९३१, स्वाधीनता दिवस को पढ़ा गया स्मारक प्रस्ताव । --निर्देशिका &२ ६०६ ६२३ ६५३ ६७४ ६८३ ६८६ ६६७ ४२८ ७२६ ७२९१ ५७३६




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