रीता | Rita
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
79.54 MB
कुल पष्ठ :
123
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)का बोनाफाइड विद्यार्थी नहीं था । श्रौर इससे भी श्रघिक बात यह...
थी कि झ्ब मेरी मनोवत्ति में एक विचित्र प्रकार का परिवतेन-्सा
. दिखाई दे रहा था । अब मैं कुछ ऐसा श्रनुभव कर रहा
था किमुभ्षे विश्वविद्यालय की उच्च दिक्षा से श्ररुचि हो गई थी
मैं उसकी दिशा में कतई श्रादयास्वित नहीं था ।
मेरी मनोवत्ति में इस श्रप्रत्यादित श्रौर विधितन्र परिवंतंन का
कारण संभवत: यह था कि मैं यह देख पा रहा थां कि जिस तरह से
मैं अपनी ज़िंदगी आरागे खिसका रहा हूं श्रौर पढ़ाई में श्रास्था बनाए
हुए हूं, यह कोई बहुत दूरदर्शिता की बात नहीं है। संभवतः मैं यह...
इसलिए सोचता था क्योंकि सुक्में यह धारणा विदवास जमाती.
'जारही थी कि व्यावहारिक सफलता का शिक्षा या विवेक से कोई
बहुत घनिष्ठ सम्बन्ध नहीं है । इसके साथ ही मैं यह भी देख रहा
था कि श्रगर मैंने फीस की दूसरी किर्त का प्रबन्ध कर भी लिया
तो भी दो साल तक उसी तरह से प्रबंध करते रह. सकना मेरे लिए
किसी भी प्रकार से सम्भव नहीं है । इसलिए मैं पढ़ने के साथ ही
'किसी नौकरी की तलाश में भी रहने लगा श्रौर मैंने फंसला कर
लिया कि श्रगर. कोई तुक का काम मिल गया तो मैं पढ़ाई . छोड़
थी दूंगा ।
भ्रपने पिताजी की राय के श्रनुसार मैं एक दिन कामदिलाऊ
दफ्तर में अपने श्रमाणपत्र श्रादि लेकर गया । वहां मु दिन-भर
लग गया । उम्मीदवारों की पंक्ति में लगभग दो घंटे तक एक पेर
से खड़े रहने के बाद मेरा नम्बर श्राया श्र अपना रजिस्ट्रेशन कराने
. में सफल हो सका । लौटते-लौटते शाम उतरने लगी थी श्रौर मैं
झपने-झापमें एक श्रजीब-सी पस्ती का अनुभव कर
रहा था । घर पहुंचते-पहुंचते पांच बज व्वुके थे श्रौर मैं श्रपने सिर
में हल्का-हल्का ददें महसूस कर रहा था।.......
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