श्री आदि पुराण | Shri Aadi Puran
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
372
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ १४]
'होनेपर भी प्रतिदिन झाख्र सभामें आते हैं । आज भी स्वाध्यायकी
परिपाटी उसी प्रकार चाछ है उसका श्रय आपको और दो न्य
महानुभावोकों है । बतेमानमें गुड़ाना निवासी पैडित महबूवर्सिहजी
सर्गफ शासन परते हैं । पंडिनजी वयोवृद्ध और श्रीमंत होते हुए भी
कर्तव्यनिष्ठ चात्सलयमाजन और घर्मपतायण हैं । सेठके कूचेकी सभी
सेम्थाओंकी निःस्वाथभावसे देखरेख करते हैं । नये मंदिएमें तत्वचर्चा
और म्वाध्यायमें जो उत्माह दिखाई देगा है उसके एक मात्र अव-
लम्ब, धर्मज्ञ, जेन घमं रसिक, विद्वारनोकि अन्य प्रेमी पैडत दलीप-
सिंइजी कागजी हैं । ये तीनों महानुभाव दिछलीकी जैन समाजके भूषण
हैं । उन्होंने अपनी स्वभाविक रुचि और कर्तव्यनिष्ठ से प्रेरित होकर
स्वये और दूमरोंको तत्वज्ञान विभूषित किया है इसलिए जैन समाजका
कर्तव्य है किं वह अपने इन पथप्रदरीकों और निःस्वाथ शुभचिन्त-
कोका यथोचित सम्मान काके अपनी कृतज्ञता प्रदर्शित करें ।
पेडितजीकी प्रमुख रचना आदिपुराण है, जिते भपत्रश
भाषामें पुष्पदत आचायेने बनाया, और संस्कतमें श्रीसकलकीर्ति भादि
भट्टारकोनि बनाया, डन्डींके आधार पर भाषामें दोहा चौपड छ्दोमें
कविवर पंडित वुरुसोरमजीने रचा है । '
इस अथक रचना मनोहर मौर हदयमाही है । माषा परिप्त
ओर परिमाजित हि । भनुवादके साथ मौडिक मर्वोक पणी ध्यान
रखा गवा हे । मेय समी प्रकारसे उत्तम और भपूर्व हैं ।
रेमे फोपकारी अमेन महानुमावक। संवत १९५६ ब सिद
User Reviews
No Reviews | Add Yours...