नल दमन | Nal Daman

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Nal Daman by विश्वनाथ प्रसाद - Vishvanath Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नल-दमन ५ से०।।१७ (स ०))। १६ (क०) मंगत्त लोशन की मांगा । लिस्ट घन फिर श्रातिनि लि सांगा ।। (कं०) | मंगत दवन क मामा । तिन्ह वन फिरहिं रतनग मांगा ॥ (०) 2 संगत लोॉकन की मांगा । तिस्ह घन भर रतन नग सांगा 1 (संर) प व 4' द{० 11 वह्‌ क~ 2 कप्टा जे मंगत थन दर दर डोले । प्रौ दर पग हरे बिन डोले ।। (का | 1 ग जा संगत घन घर घर टोन । सो दर पण न वरं छिन टोल 11 १ 2 थ जा संगत घन दर दर टोल । सो दर पग से घर छिन दोलं।। दो० 11२१ (सि०।॥। २० (कार) कघीन सहेव गांठ सो छूटी । जड़. चेतन दने जेवर टूटी 11 (कांठ०) [11 कहा श्रोर मोह गांठ सो छटी । लड़ तरेलन दधित जेवर टृटी॥ (न्न०) के शा कम शीपपटएफ कक चिक-25/इप करा की धीव महव गांठ सो छड़ी । जड़ चेतन हृत्त जेवरि टूटी 1 (संर) उदेत दोहा इस प्रकार है माया मसोहि मिलाप परौ, पौव भयों ब्घि... जीव 1 सति गुरु फरि सधान मन, काहि दिदायो चीव ॥२०।। (कां) माया नही निलाप च्य, धिव जो भयो देवि जीव 1 जापक शिण संकर फटि मयान सन, काढ़ देषा यह्‌ घौ \ (स०) माया र मिलाप स्या, विडू भये दयि जीव । सतवृरु फ्रि मथानि मन, काटि द्खिायो घीव ॥ (सं) क ग्रंथ की नात प्रतियाँ संप्रति ग्रंथ की चार प्रतियाँ ज्ञात है । इनमें से एक तो बंबई प्रिस-ब्राफ-चेल्स +यूजियम की फारसी प्रति है श्रीर दो (दूसरो-तीसरी) उसी की नागरी श्रक्षरों में की गई प्रतियाँ हू जिनमें से एक काकी नागरी प्रचारिणी सभा में सुरक्षित 'स० प्रति (टंक्रित) है तथा दुसरी उप्त स्पूजियम के कयूरेटर 'टा० श्री मोतीचंट जी की प्रति है । चौथी करः प्रति श्री मुनि कांतिसागर जी कौ प्राचीन टुरतलिखित देवनागरी प्रति है । डा० श्री सोतीचंद जी की प्रति का भी थोड़ा बहुत उपयोग किया गया है । ए श्रल(र्‌ प्रद 3.2 जता कि श्रारंभ में लिखा जा चुका हैं, नलदमन के संबंध में सर्व प्रथम लिदयसनीय सुचना दने का श्र श्री० डा० सोतीचंद जो को है । उन्होंने ग्रंथ के विषय में एक लेख भी नागरी प्रचारिणी पत्रिका में छपाया | उस लेख मे प्रस्तुत संपादन में सहायता न लेना




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