मैकियावेली शासक | Maikiyavelli Shasak
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
158
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ही । स्फोर्शा एक छोटा-सा राज्य था; जिसरा पलारिंस के लिए बहुत धिक
सैनिक महत्व था। १४६६ में मैवियावेली दो बेर्टारिना सो 1 जाना पडा 7
पसा के विरुद्ध युद्ध जारी रखने के लिए झाें तय करने या दाम सरर
इंस्वी मनु १४०० में वह फास गया और से्नाट सुई हे मिदा। मीडर
दोय की वदतो हुई महत्वावाधा से विन्त अपने राग्य था सम्देग
सेकर उसवे पाव गया । नये पोष बे चुनाव मोर नीहियों को घोणा न्द्
वयदितगत अनुगव पराप्त करे के तिए १५०३ उसे रोम जाना पद |
चर्च के खोये हुए साप्राज्य का फिर से जीतने वे लिए पकरर पाणा
गयी सैनिक सहायता के मुद्दे की लेकर बातचीत वरते के लिए १४०४ मे
वह् तेपीम पोप जूतियंस द्वितीय से मिता बौर १४०७ में जद मैंपिम
मिलियन ने रोम में अपने राजतिलव के अवसर पर होने वाले समारोह मे
लिए फ्लारेन्स वालों से खर्च मागा तो इस घनराशि वी मात्रा तय वरने
क लिए मैकियावली मैक्सि मिलियन से भी मिलने गया ।
मैकियावली कोई असाधारण रूप से सफन बूंटनीतिम रहा हो, ऐसी
बात नही है। पर्याप बहू अपने युग में सर्वाधिक महरवपूर्ण व्यविनयों से
मिल्तता रहा। उनने की जाने वाली बातचीत में वभी भी निर्णायव को
सत्ता लेकर वह शामिल नहीं हुआ, भेनिन पिर भी वह कूटनीतिन् वी
हेमियत से जी भर कर धूमा मौर बाघ-कान सते रनर तमाम जाने
कतौ दासता रहा) इर काल मे उसने अपने उच्चाधिकारियों को जो
पत्र लिखे या जो प्रतिवेदन भेजे, वे ऐसी असख्य दूरदंशितादू्ण टिप्पणियों से
भर पढ़े है,जो भागे चलदर उसकी महत्वपूर्ण डृतियो का आधार बनी।
जिन र्या बौ पाथा पर वह् जाता या, उनकी राजनीतिक अवरदा
क मूलाधार को साज निकालने को उमे
ये अताधारण क्षमता पे
नए सामान्य नुषतो कौ बडी सजगता से जाव 1
बदल माधार पर वह सादवालिक और सावतोकिक सिद्धान्त षा
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ध 11 में उसके सिर पर यह एन मवा् ह्नि
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नागरिक सेना का गठन करना चाहिए। पर का र
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