प्रबंध - प्रदीप | Prabandh - Pradeep

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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2० प्रबन्ध-प्रदीप विभागों के अतिरिक्त इसके विपय और अभिव्यंजना-शेली को लेते हए कितने ही विभाग किण्जा सकते हं । उपन्यासों से आनन्द और शिक्षा की दो प्रधान धारयं साथ साथ चलती है । उनका विपय सनुष्य और उनके प्रतिदिन के ठयवहार है । इनमे हमारा आकषेण इसलिए ह कि हम अपने जैसे प्रत्येक प्राणी के विपय से जानना चाहते है । उनसे हम इस तरह शिक्ञा मिलती है कि हम उपन्यास में चित्रित सनुष्य के जीवन की सफलता अथवा असफलता से प्रभावित होते है और उन कारणो को सममते हैं जिन्होंने उस पात्र के जीवन को असफल कर दिया है । उपन्यास-पाठ के अनेक लाभ हैं । जब हम प्रतिदिन के गंभीर कामों से थक जाते है, तब हम मन-बहलाव की योजना करते हे । उपन्यास ऐसा ही एक मन-बहलाव है । साथ ही वह एक लाभप्रद मन-बहलाव है । उसके द्वारा हम प्रत्येक मनुष्य के प्रति सम्बेदनाशील हो जाते है और हमारी सहानुभूति का विस्तार होता है । अच्छे उपन्यास हमे शिक्ा देते हैं और हमें प्रेम, साहस, आत्म-बलिदान ओर कर्तव्य का पाठ पढ़ाते है। इसके अतिरिक्तं उपन्पास अनेक महत्वपूणं विषयो के सम्बन्ध मे हमे सूचना देतेन्हे । वे हमे अनेक वस्तुओं, अनेक स्थानों, अनेक मनुष्यो चौर अनेक कालों की बात धतलाते हैं । वे उन समस्याश्मोसे हमारा परिचय करते जो विशेष युग से संबंधित होती है । हम उनके द्वारा भिन्न-भिन्न जातियों और भिन्न- भिन्न सम्प्रदाया के रोति-रिवाजो से परिचय प्राप्त करते हे। आजकल उपन्यास साहित्य के अन्य विभागो की तरह अध्ययन का गम्भीर विषय साना जाता है । सानव-स्वभाव और मनोविज्ञान के अध्ययन के लिए उपन्यासों का पठन-पाठन अत्यन्त आवश्यक है । ं




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