हिंदी साहित्य सम्मलेन | Hindi Sahitya Sammelan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Hindi Sahitya Sammelan by श्री हरिश्चन्द्र - Shri Harishchandra

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्री हरिश्चन्द्र - Shri Harishchandra

Add Infomation AboutShri Harishchandra

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
1 हमारे झरोर को रदना {अन्वय हैं; परि अन्तर चहुत्त हो थी रे-घीरे पढ़ाना या घटाना होता हूँ तो पंच (र ) से काम लिया जाता हूं; जहाँ से साफ साफ दीखता हैं उसी अंतर पर घस्तुताल को रखते हूं । बड़ी नली के भीतर एक नली और होती हूँ; इसी में चकुताल लगा होता है । इस नलो को उपर सरकाने से चुत स्तर बस्तुताल काप यन्तर अविक किप जा सकता हैँ । प्रकादा (1.४) रौ किरणें झोझे (फ1717007) पर से उचट कर मंच फे चरि मे से होती हुई वस्तु पर पड़ती हूँ । वस्तु से उच्च कर चस्तुताल आर नली मौर चलूताल मं होती हई परोक्षङू को चु मं पहुचतो हं । शीशेसे प्रकादा कम गप अधिक किया जा सकता है इस यन्न की सहायता से बैज्ञातिको (5८[<घ. (४१४) नें अनेक प्रकार की सुषम (फततएप6) चनस्पतियों को देखा हैं जिनको साधारण मनुष्यों ने न कभी देखा और न सुना । साधारण मनुष्यों को सो इस वात के सुनने से भी बडा आश्चर्य होता है कि जीवधारी इतने सुदम भी हो सकते है जो अलो सेन दिशा दे; परन्तु हस विषय मेँ सन्देह करना व्यर्थ हूँ यदि आप इस बघंत्र के द्वारा चस्तुओ कोौदेखना जानतो ननको भी इस चात का पूर्णं विश्वास हो जायगा । जिस प्रकार वनस्पतिवर्ग में अनेक प्रकार के बड़े से बड़े और छोटे से छोटे व्यक्ति हैं. उसी प्रकार प्राणिवर्ग में भी जिन्न-भिघन पकार के बड़े से बडे और छोटे से छोटे च्पक्ति हूं । बड-चड़े प्राणी ऐसे जैसे कि हाथी, डेट, वा समुद्र में रहने बाली ह्लेल (५४11८) मछली, मनुप्य, बानर, कबूतर जादि, छोटे-छोटे ऐसे जैसे कि मकसी, मच्छर, जू, चीटी सादि । प्राणी इनसे भौ छोटे-छोटे होते दै ; ये बहूधा जल मे रहते हं मौर आंसो से केवल एक बिन्दू जनं देष पडते हं यदि जौर देख भाल की जावे तो ज्ञात होता हैं कि संख्य भरणी




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now