संवेदना के स्तर | Samvedna Ke Star

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Book Image : संवेदना के स्तर - Samvedna Ke Star

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Dr. Rajmal bora

hindi books author , assistant professor in 1960 approximately 1970.
completed first ph.d in the  hindi department of  sri venkateswara Andhra pradesh state university, Tirupati.

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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1 | ¶ ` । | = ॥ को अपनी प्रतिभा के अनुसार, जिस पर उनका विश्वास है, जगह नहीं मिरुती । युवकों कै मन में स्वप्न होते हूं और सामने लम्बा जीवन । जब २ चाहता है किन्तु ररा तिक १६ / संवेदना के ` इस प्रकार से व्यवहार किया जाएगा, वहाँ पर संत्रास का वातावरण व्याप्त होगा । बम की चपेट मँ अनेवाके तो अज्ञान मे मारे जागे किन्तु उक्त घटना का प्रभाव ऐसी स्थिति का निर्माण करेगा जिसके कारण जनता उस घटना कौ पुनरावृत्ति कौ आशंका मे अपने को संत्रस्त अनुभव करेगी । अस्तित्व रक्षा का प्रश्न, संत्रास को स्थितिसे जुडा दहै! अफ़िका में किसी भारतीय को यदि सताया जाता है ओर उसके साथ नागरिक सा व्यवहार नहीं होता तो उक्त घटना को पढ़कर भारतीय अपने को संत्रस्त अनुभव कर सकते हँ । समाचार प्रत्रों के कारण संसार में होनेवाली घटनाओं का ज्ञान नित्य प्रति बढता जा रहा है और इन घटनाओं में जहाँ जहाँ मानवीय अत्याचार की घटनाओं से परिचय ता है ओर जिसके निदान का सहज उपाय नहीं सूझता, वहाँ वहाँ मनुष्य, मनुष्य होने के नाते अपने को संत्रस्त अनुभव करता है । एक देदा दूसरे देश से संत्रस्त है, एक दल दूसरे दल' से संत्रस्त हैं, एक सम्प्रदाय दूसरे संप्रदाय से संत्रस्त है। संत्रास की यह स्थिति सामाजिक संगठनों में है और इसी' तरह व्यक्ति में हैं। और जैसे कि पहले ही कहा गया व्यक्ति की स्थिति संगठनों के सामने बौनी हो गई है और बह चाह कर भी संगठन को बदलने का साहस नहीं कर सकता । संत्रास को स्थिति बहुत कुछ व्यक्ति के निजी बोध पर भी निभंर है संत्रास का एक कारण लोकमत का भय भी हं! भीड की मनोवृत्ति ओौर व्यक्ति को मनोवृत्ति में अन्तर होता है । भीड की मनोवृत्ति निर्चित ही व्यक्ति की मनोवृत्ति को कुचल देती है । इसलिए व्यक्ति लोकमत से डरता द । यहं भय व्यक्ति में प्रबल रूप. धारण कर लेता ह तो इससे व्यक्ति का विकास रुक जाता हं । हम चाहते ह कि हमारे मत का समथन करनेवाले व्यक्ति हों । इस प्रकार की संख्या बढ़ेगी तो हमारे सुख में वृद्धि होगी । युवकों को इस स्थिति का सामना अधिक करना पड़ता है। युवक अपने... अधिकं संत्रस्त अनुभव करते हुः! इसका कारण यह्‌ हं उनका स्वप्न खण्डित होने लगता हैं, तो वे निराश हो जाते हैं । उन्हें लगता है' कि वे सताए जा रहे हैं। इस कमं प्रधान विश्व में जो जसा कम करेगा, उसे = वेसा ही फल चखने मिलेगा--इस बात के विपरीत उदाहरणों को अपनी आँखों से देखने के बाद व्यक्ति नीति को ताक पर रख देता है ओरं प्रतिकार करना कार करने कौ शक्ति से जब वह्‌ अपने को वंचित अनुभव




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