आत्म - रहस्य | Atma - Rahasy

Atma -  Rahasy by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कार्य और ज्ञान । पता अपने पुत्र के सदाचार के सिद्धांत नहीं सिखलाएगा जब पक कि वह उसें पुत्र के घर्म और सामाजिक कर्तव्यों का पालन करते हुए न देख लेगा । साधारण कार्यी में भी पहले क्रिया हेती है और फिर उस का ज्ञान । झात्मिक सिद्धांतों और उत्तम जीवन के लिए तो यहद नियस श्र भी दृद़ है । धर्म का वास्तविक ज्ञान केवल सदूरुणों के झम्यास से दाता है और सत्य का ज्ञान केवल तभी प्राप्त देता है जब धर्माचरण में मनुष्य चिपुण है जाता है । सदूरुणों के अभ्यास और प्राप्ति में निपुण दाना दी सत्य के ज्ञान में निपुण हना है | सत्य की प्राप्ति केवल तभो हेतती है जब रात दिन उस का ्यान रकक्‍्खा जाए। साधारण बातें में भी सय के काम में लाता हुआ कठिन बातें तक पहुंच जाए । जिस प्रकार बालक पाठशाला में शांति से ाज्ञा पालन करता हुआ अपने आठ के याद करता है ौर सदा झम्यास और उद्योग करता हुआ अंत में समस्त असफलताओं और कठिनाइयों पर विजय प्राप्त कर लेता है इसी प्रकार सत्य सीखनेवाला बालक अपने विचारों श्और कार्यी में सत्य का अभ्यास करता है असफलता से निराश और भयभीत नहीं देता वटिक कठिनाइयों से और दृद् दो जाता है और. ज्यों ज्यों भलाई प्राप्त करने में उसे सफलता . होती जाती है त्यों त्यों उस का हृदय सत्य के ज्ञान के लिये खुलता जाता है। यही चद्द ज्ञान है जिस में वद्द शांति से निभय रह सकता है ।




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