उत्तर योगी श्री अरविन्द जीवन और दर्शन | Uttar Yogi Shree Arvind Jeevan Aur Darshan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उत्तर योगी स्तोमोवैतर ऋगवेद ८।१।३ में रस [ उद्‌ ] तर [ ती पार हो गया है ] वी वन्दना बरता हूँ । आापके न होने पर मेरी साधना का निरेशक कौन होगा ?” दर्षिण के प्रसिद्ध योगी नगाई जप्ता से श्री के? वी० आार० आयगर ने पूछा । नगाई जप्ता का मतद स यह्‌ आमास मिल गया था कि अब उनके शरीर-त्याग बा समय बहुत निकट भा गया हु । श्री आायगर के प्रश्न पर नगाई एक क्षण चुप रहे फिर उठाने कहा--“कुछ वर्षों बाद एक उत्तर यामौ इधर यायगे । तुम अपनी साधना में उनसे सहायता लेना ।* उत्तर के यागिया की दक्षिण या दि के यागिया की उत्तर-्यात्रा कोई नयी वात नही ह । पुराकाल स आासंतु हिमालय यह दंश ऐसे योगियो के परिव्रजन से उनके उपनेया से. प्रेरणाआ से मानसिक समृद्धि पाता रहा ह। अगस्त्य के आगे विषय वी दुगम चोटिया युक भी थी ! गङ्राचायके जागे भी ये चाटि्यां मागावरव का कारण भे वेन सकी । इनकी परम्परा में अनेक नाम पहले और बाद में अटूट क्रम से जुहते रहै हैं, नुढते जायेंगे । “जाने प्रतिवप कितने उत्तर योगी दसिण मारत में जाने हैं । मैं उम उत्तर योगी की पहचान कसे पाऊँगा ?” अपने गुर सगाई जप्ठा से श्री आयगर ने पूछा । प्रश्न स्वाभाविक था । यामो पुन एक क्षण ध्यानस्थ हुए, वोले-- वे दनिण मारत में शरण घाजने आयेंग । वे अपने वारे में तीन विधियताओं का उछेख करेंगे, जिनसे तुम सहज ही उस उत्तर यागी का पता लगा सक्ते हा 1 थी के० वी० रामस्वामी आयगर इसी भविष्यवाणी से प्रेरित होकर पाष्टिचेरो में श्रा कर चेट्री के घर थी अरविल स मिले । श्री अरविद ने स्दय इस घटना का उल्लेख इस प्रकार किया ह--“उत्तर योगी ( उत्तर स भाने वाला यागो ) मेरा ही नाम था जा मुे एक प्रसिद्ध तमिल यागो की बहुत पहले की भविप्यवाणों के आधार पर दिया गया । उनको भविष्यवागों यह थी कि ३० वप बाद ( मेर पाष्डिचेरी पटँचने के समय मे यह सगत हु) उत्तर से एक योगी भाग कर दलिण में आयेगा भर यहाँ पूणयाग का बम्याप्त बरेगा । भर यह मारत को मानेवालो स्वतव्रता चा एक चिह्न होगा । उद्दोने




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