उत्तर योगी श्री अरविन्द जीवन और दर्शन | Uttar Yogi Shree Arvind Jeevan Aur Darshan
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
490
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उत्तर योगी
स्तोमोवैतर
ऋगवेद ८।१।३
में रस [ उद् ] तर [ ती पार हो गया है ] वी वन्दना बरता हूँ ।
आापके न होने पर मेरी साधना का निरेशक कौन होगा ?”
दर्षिण के प्रसिद्ध योगी नगाई जप्ता से श्री के? वी० आार० आयगर ने पूछा ।
नगाई जप्ता का मतद स यह् आमास मिल गया था कि अब उनके शरीर-त्याग बा
समय बहुत निकट भा गया हु । श्री आायगर के प्रश्न पर नगाई एक क्षण चुप रहे फिर
उठाने कहा--“कुछ वर्षों बाद एक उत्तर यामौ इधर यायगे । तुम अपनी साधना में
उनसे सहायता लेना ।*
उत्तर के यागिया की दक्षिण या दि के यागिया की उत्तर-्यात्रा कोई नयी
वात नही ह । पुराकाल स आासंतु हिमालय यह दंश ऐसे योगियो के परिव्रजन से उनके
उपनेया से. प्रेरणाआ से मानसिक समृद्धि पाता रहा ह। अगस्त्य के आगे विषय वी
दुगम चोटिया युक भी थी ! गङ्राचायके जागे भी ये चाटि्यां मागावरव का कारण
भे वेन सकी । इनकी परम्परा में अनेक नाम पहले और बाद में अटूट क्रम से जुहते रहै
हैं, नुढते जायेंगे ।
“जाने प्रतिवप कितने उत्तर योगी दसिण मारत में जाने हैं । मैं उम उत्तर योगी
की पहचान कसे पाऊँगा ?” अपने गुर सगाई जप्ठा से श्री आयगर ने पूछा । प्रश्न
स्वाभाविक था ।
यामो पुन एक क्षण ध्यानस्थ हुए, वोले-- वे दनिण मारत में शरण घाजने
आयेंग । वे अपने वारे में तीन विधियताओं का उछेख करेंगे, जिनसे तुम सहज ही
उस उत्तर यागी का पता लगा सक्ते हा 1
थी के० वी० रामस्वामी आयगर इसी भविष्यवाणी से प्रेरित होकर पाष्टिचेरो में
श्रा कर चेट्री के घर थी अरविल स मिले । श्री अरविद ने स्दय इस घटना का उल्लेख
इस प्रकार किया ह--“उत्तर योगी ( उत्तर स भाने वाला यागो ) मेरा ही नाम था
जा मुे एक प्रसिद्ध तमिल यागो की बहुत पहले की भविप्यवाणों के आधार पर दिया
गया । उनको भविष्यवागों यह थी कि ३० वप बाद ( मेर पाष्डिचेरी पटँचने के समय
मे यह सगत हु) उत्तर से एक योगी भाग कर दलिण में आयेगा भर यहाँ पूणयाग का
बम्याप्त बरेगा । भर यह मारत को मानेवालो स्वतव्रता चा एक चिह्न होगा । उद्दोने
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