काला फूल | Kaalaa Phul

Kaalaa Phul by अलेक्जेंडर ड्य्माके - Alexandre Dumasपं. सिध्दगोपाल - Pt. Shidhdgopal

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अलेक्जेंडर ड्य्माके - Alexandre Dumas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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काला फूल २ कॉनिलियस द विट ४९ वषका होगा । वह पहले अपनी जन्मभूमि डोर्ट नगरका मेयर और हवालेंडकी धारा-सभा एसेंबली का सदस्य रह चुका था । वह और उसका भाई महामंत्री जान द विट प्रजातंत्रके पक्षपाती थे । जान दबिटने वहाँ नवाब 2६80010प्रत०/8/ के पदकोा हमेशाके लिए रद करके प्रजातन्त्रकी नीव मज़बूत की थी । इस समय वहँकि लोग प्रजातन्त्रसे ऊब गये थे क्योंकि प्रजातन्त्र उनके देशकों फ्रान्सके चंगुलसे न छुड़ा सका था ओर वे नवाबके पदकी पुनः स्थापना करना चाहते थे । प्रायः जनता सिद्धान्तों और उनके समर्थक व्यक्तियोंको एक दी समझने लगती है। इस लिए लोग प्रजातंत्र कहनेसे दोनों द विट-भाइयोंको दी समझते थे और ये दोनों भाई प्रजातंत्रका मतलब स्वेच्छाचारराइित स्वबंत्रता और अपव्ययरहित समृद्धि समझते थे । नवाबसे लोग ऑआरेंजका नवयुवक राजकुमार समझते थे क्योंकि यह पद उसीको मिलनेवाला था और वहीं उस दलका नेता था । फान्सके राजा चौदहवें छईके नैतिक बलको सारा योरप अनुभव करता था। उसने तीन महदीनेके युद्धम॑ दालैंडको पछाड़कर अपना सैनिक बल भी दवालैंडको दिखा दिया था। इस लिए द विट-भाई छईको खुश रखते हुए ही अपना काम निकालना चाहते थे । परन्तु दवालेंडवाले उसे जी-भरकर कोसते थे यद्यपि उनका यह कोसना भागे हुए. फरासीसियोंके दी सम्मुख होता था । छुई बहुत दिनोंसे उनका दत्रु था । जब कोई विजित जाति अपनी स्वतंत्रताके लिए लड़ते हुए थक जाती है तब वह अपनी असफलताका दोष नेताओपर मढ़ने लगती है और उनका साथ छोड़ देती है । वह आशा करती है कि कोई नया नेता आएगा और वह उन्हें अपमानसे बचाएगा । यददी दालत उस समय द्ालेंडकी थी । इस कारण द विट-भाइयोंके सामने दो कठिनाइयों थीं देशवासियोंकी सहदानुभूतिका अभाव और उनमें थकानका अनुभव । राजनीतिक क्षेत्रमं आंन और छुईका सामना करनेके लिए तैयार यह नया नेता भरेंजका राजकुमार विलियम था । यह विलियम द्वितीयका पुत्र और इंग्लैंडके चार्ट्स प्रथमका दौदित्र था । लोग उसीके द्वारा नवात्के पदकी पुनः स्थापनाकी आदा करते थे ।




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