महाभारत अठारहो पर्व्व | Mahabharat Atharho Parvv
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
99 MB
कुल पष्ठ :
800
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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शंतल॒ मोहे देखत नारी ॐ तव् गङ्गापन कहो विचारी ॥ है?
कोन रूप बन हेठ हो. काहा क कहो सत्य सो हमहीं पाहा ॥ है
हा-गङ्ख क्यो बात असि, देवाङ्गन' हम जान 1 9
{६ वाचा बध सोई परूष,कन्या कहा वखान ॥ #
गजा हित वाचा कीन्दी.ॐ तप गङ्गा यह बोल लीन्दीं ॥
कोरा कम करत जब राञ्ज % ५ भङ्ग देव जनि पाञ॥
तदिन हमहि न हो राजा % यहि बाचामो बद काजी ॥&.
राजा घर को लं राये $ हर्षवत बधाय बजबायै।॥ ॥
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जा रहे हषं मन माहीं % परमद. सों कासर जाहीं ॥
हतक दिन बीते यहि मोती ॐ बालक एकं गम जन्माती ॥ भ
राजा हरं ` बहुत मन कीन्हा $ वहत॒ दान् किनकहं दीन्हा ॥
गङ्गा कम अचरा सारा % बालक लकः ,जलमह डरा ॥ $
दंत प्राण बालक के गयऊ 9 पिस्मय मनमहं राजा मयञ॥
थे कत नहीं कलु बाचावापे ॐ रहा दुःख दिरदयमदहं सापे ॥ 1
दाहा-याह प्रकार सो गग तव, सात पत्न जलडीर ।
९ ॥६ वाचा बेघ हित राजा, महा दखितसेभार ॥
€ चष्टम गभहि भा संचारा % तब शंतनु बिनती . अनुसारा ॥
तात पत्र के नाशे प्राना ॐ याहि पुत्र हमको देर दाना॥
€ टसिकं गङ्गा तब यह कहीं र इतने दिन कम्हरे सग रहो॥
पराचा हुल आज भा यानी हमद गङ्गा कहत वामो ॥
4 ष्टम राज आप -बचायां $ यह कनिष्ठ जो म याया ॥ $
यह वृत्तान्त; कहं तोहि पदीं % रजा सुना कथा मनमाहीं ॥
मधे बशिष्ठ की शाही 8 आधाबास हरण कर ताह ॥
६ सही पापशाप उन दीन्हो ह मानष कर्म चोर इन कीन्हा ॥
ताते शाप ले समुदा % यदै कनिष्टं हरण कर् माई ॥ 9
६ दाहा-यहे हेतु हम मनुष तने, गगा कहत विचार ।
६ ^ परडपकार के कारणे, मेरोहे साध तुम्हार ॥
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