प्रमुख राजनितिक चिन्तन | Pramukh Rajnetik Chintan

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Pramukh Rajnetik Chintan by गंगादत्त तिवारी - Gangadatt Tivari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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31 लिए स्थायी वैवाहिक जीवन एवं परिवार में प्रयक्‌ रुप से रहना भी वजित होगा । 1. सम्पत्ति का साम्यवाद आधुनिक युग में समस्त समाजवादी विचारधाराओ का उद्य माथिक समानता लाना तथा माथिक शोपण का अन्न करना रै । आर्थिक शोषण का अन्न करना है । संवाइन ने कहा है, 'युनानी लोग इस तथ्य को निष्पक्ष रुप से मानते थे कि राजनीतिक कार्य-कनापो तथा राजनीतिक सापिध्य की निर्घारित करने में बाधिक उद्देश्य बहुत प्रभावी होते हैं ।* प्लेटो से पूर्व भी युनान के कुछ नगर-राज्यो में मार्थिक हृप्टि से घनी, निर्षन एवं मध्यम वर्ग के लोगो को मलग-अलग वर्गों मे विभक्त करन की परम्परा थी । झोपण प्रा तब भी प्रचलित थी । वर्गं-तन्त्रो (0118210८9165) के अन्तर्गत शासन कार्य मुस्यतया सम्पत्तिशाली वर्ग के हित में सचालित होना था । यूनानी लोग इस तथ्य से भी परिचित थे कि आर्थिक तत्त्व राजनीतिक वातावरण को प्रभावित करते रहते हैं। संवाइन के मत से 'एथयेन्स में नागरिक-अस्थिरता का मुरय कारण कम से कम सोलन के काल से मुरयतया इसी स्प का था ।' त्रीट के नगर-राज्य में सावंजनिक भूमि को मार्वेजनिक दासो द्वारा जोने जाने कौ प्रया प्रचलित थो । प्लेटो का मादा याज्य उसके न्याय-सिडधन्त प्र माघारित है । प्लेटो राज्य कै नागरिकोके मध्य पूणं एक्ता स्थापिह करना चाहना था, ताकि विवेक, उत्साह तथा तृप्गा तत्त्वो का प्रतिनिधित्व करने वाले राज्य के निर्माणकारी वर्गों स सावयविक एकता बनी रहै । पस हेतु वह विवेक एव उत्साह नवौ का प्रतिनिधित्व हेतु वह विवेक एव उत्साह त्वौ का प्रतिनिधित्व करने वाते उच्च वगु गौ को नि स्वायं सेवा की भावना से कार्य करने को व्यवस्था को बाग करना चाहता है बौर इसलिए वह उन्हे निजी सम्पत्ति के बन्यन से मुक्त रखना या उन्हे निजो सम्पत्ति के बन्चन से मुक्त रखना आवश्यक समभता है निजी सम्पत्ति उनकी मात्मा कौ भ्रष्ट मार्ग की ओर प्रेरित केरेगो, वयोकि इसके कारण उनमे वप्णा (पएए९ा111\€} तत्त्व का प्रभावमा जायेगा । मत उसके प्रमाव से रक्षक स्वय भक्षक होने लगेंग । सँबाइन ने कहा हैं कि “प्लेटो के साम्यवाद का मुख्य उद्देय राजनीतिक है। वह्‌ ध का उपयोग घम्‌ क समानीक्रण ऊर के लिए नहीं करना, बल्कि पेट जन रस मात इसलिए करता है कि जिससे ध्यसन-की--अस्ट-करते वाले प्रभाव नप्ट हो जाएं बाकर का भी यही मत है कि “स्वय प्लेटो इस बात पर जोर दना दै ङि साम्यषाद का आधार मनोवैज्ञानिक होने वी अपेक्षा व्यावहारिक तया राजनीतिक अधिक है, क्योकि प्नेटो राजनीतिक तथा माधिक सत्ता के एक ही हाथ म रहन के तथ्य को विधुद्ध राजतीति तथा राजनीतिक कुशलता के लिए घातक समभता था । इन दोनों सत्तायी का सम्मिधण हो जान से राजनीतिक सत्ताघारी आथिक साभ के लालच में जाकर नि स्वायं सेवा की मावना को भूल जाता है । शासित वर्ग जो आधिक सत्ता का प्रतिनिधित्व करते हैं, राजनीतिक सत्तावारी वी ऐसी प्रवृत्ति को देखकर उसके दिश वडवडने लने रै ! परिणामस्वस्प राज्य दो परस्पर विरोयीं वर्सों से विभक्त होने लगता है जिससे राज्य की एकता नप्ट हो जान बा मय है ।' प्लेटो केवल उच्च दो वर्गों की ही सम्पत्ति सं वचित रखना चाहता है




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