प्रमुख राजनीतिक चिन्तक | Pramukh Rajnitik Chintan

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Pramukh Rajnitik Chintan by गंगादत्त तिवारी - Gangadatt Tivari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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41 लिए स्थायी वैवाहिक जीवन एवं परिवार में पृथक्‌ रुप से रहना भी वजित होगा । 1. सम्पत्ति का साम्यवाद आधुनिक युग मे समस्त समाजवादी विचारधाराओ का उद्य माथि समानता लाना तथा र्थिक शोपण का अन्न करना है । आर्थिक शोपण का अन्न करना है । संवादन ने कटा है, नानी लोग इम तथ्य को निष्पक्ष रुप से मानते थे कि राजनीतिक कार्य-कनापो तथा राजनीतिक सान्निध्य की निर्धारित करने मे आथिक उद्देश्य बहुत प्रभावी होते हैं ।” प्लेटो से पूर्व भी यूनान के कुछ नगर-राज्यो मे आर्थिक हृष्टि से धनी, निर्घन एवं मध्यम वर्ग के लोगो को अलग-अलग वर्गों म विभक्त करन की परम्परा थी। झोपण प्रया तव भी प्रचलित ঘী। লব-ল্ী (০1182502165) ঈ' अन्तर्गत शासन कार्य मुस्यतया सम्पत्तिशाली वर्ग के हित में सचालित होता था। यूनानी लोग इस तथ्य से भी परिचित थे कि आ्थिक तत्त्व राजनीतिक वानावरण को प्रभावित करते रहो हैं। संबाइन के मत से 'एथेन्स मे नागरिक-अस्थिरता का मुरय कारण कम से कम सोलन के काल से मुरयतया इसी रुप का था ।' त्रीट के नगर-राज्य में सार्वजनिक भूमि को सार्वजनिक दासो द्वारा जोते जाने की प्रया प्रचलित यो । प्लेटो का मादा याज्य उसके न्याय-सिद्धान्त पर आधारित है। प्लेटो राज्य के नागरिकों के मध्य पूर्ण एकता स्थापित करना चाहता था, ताकि विवेक, उत्साह तथा तृप्णा तत्त्वो का प्रतिनिधित्व करने वाले राज्य के निर्माणकारी আমাল सावयविक एकता बनी रहे । (दम हेतु वह विवेक एव उत्साह नवौ का प्रतिनिधित्व हेतु बह विवेक एवं उत्साह तत्वों का प्रतिनिधित्व करने वाते उच्च वगु गौ को नि स्वार्थ सेवा की भावना से कार्य करने की व्यवस्था को জা কলা चाहता है और इसलिए वह उन्ह निजी सम्पत्ति के बन्चत स॑ मुक्त रखना ্া उन्हे निजी सम्प्रति कै वन्यन्‌ घ॒ मुक्त रसना आवश्यक समभता है_। विजी सम्पत्ति उनको ल्ात्मा को भ्रष्ट मार्ग की ओर प्रेरित करेगो, क्योकि इसके कारण उनमे तृप्णा (997०7156) तत्त्व का प्रभाव था जायेगा । अत उमक्रे प्रमाव से रक्षक स्वय भन्षक होने लगेंग | सँबाइन ने कहा है कि “प्लेटो के साम्यवाद का मुख्य उददेश्य राजनीतिक है। वह ১০৪৬ का उपयोग घम्‌ क संमानीकरंण करने के लिए नहीं करता, बल्कि वेद इस शा चन्त इसलिए करता है कि जिससे घासन-कंे-अस्ड-करने वाले प्रभाव नप्ठ हो जाएँ बाकर का भी यही सतत है कि 'स्वय प्लेटो इस बात पर जोर दता है कि साम्यवाद का आधार मनोवैज्ञानिक होने को अपेक्षा व्यावहारिक तथा राजनीतिक अधिक है, क्योकि प्नेटो राजनीतिक तया बाथिक सत्ता के एक ही हाथ म रहते के तथ्य को विशुद्ध राजनीति तथा राजनीविक कुशलता के लिए घातक ললললা ঘা) इन दोनो सत्ताजी का सम्मिश्रण हो जान से राजनीतिक सत्ताघारी आथिक लाभ के लालच में ज्ञावर नि स्वार्थ सेवा की भावना को भ्रूत् জালা । श्चासित वर्ग जो आधिक सत्ता का प्रतिनिधित्व करते हैं, राजनीतिक सत्ताघारों की ऐसी प्रवृत्ति को देखकर उसके विरुद्ध वडबडाने लगते हैं । परिणामस्वरूप राज्य दो परस्पर विरोपी वर्गों म विभक्त होने लगता है जिससे राज्य की एकता नष्ट हो जान का मय है ॥ प्लेटो केवल उच्च दो दर्यों को ही सम्पत्ति से वचित रखना লারা




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