व्यावसायिक सन्देशवाहन एवं विकयकला | Vyavsayik Sandeshvahan Avam Vikayakala
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
518
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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का दूसरा तक पहुंचाया एस प्राप्त विवा जाता है श्रौर जिसने फलस्वरूप पारस्परिक
ममभ तथा राहमनि व तिए ्राधार सुक्भलाा हु
उपयुबत परिभापायो वा ध्यान में रया हुए हम कह सबत हैं दि “सन्देश
चाहन बह प्रतिया है. जिसमे दो पादोसे श्रयिर व्यक्ति श्रषने सन्देशो तथा इन
सन्दशो स शम्बाीधत मवना्रो, विचारो, सम्मतियो, तका, तथ्यो, सब्देहो एव
विश्वास प्रादि काश्रादान प्रदान करते हैं। दंग सम्दन्य मे यह वात श्रलमन्त महत्त्व
की है कि सफत से देशयारत वह है जिससे मदेश मंजन वाजा तथा प्राप्त मरन वाता
नना सटा वोण्करीश्रय से समभ । पिमो व्यमिति कौ कोर वात यह दना ही
वर्ाप्त नहीं है मरतिक मरकव दस याते वो है वि उस वही गई वात वो प्राप्तवर्ता ने
मी मत मे समभ पिया है जिंग द्रव म सदेश दन या भजनं बारे मे रामभा है ।
हा फितु यह यात भी याय रहें फिसदा प्रात बरा वार थे पिचार राव्देश
व बुत तो यर ब्ारया तही है ।
सन्देशवाहन के लक्षण
(( ०१८६1१८.)
उप) उन पएरिभापाद्रा वा विदा विवेन करन ग सदगवाहन ब निम्न लक्षण
प्रकट होते हैंड
1 यह एक प्रद्रिया (८०९५) हेननसदेशवाटन एस विधित ण्य निरन्तर
प्रकिया है जिगम परपव ण्व ध्रविति दा मलन्यपूा पनात हैं। प्रपव श्रपना र्दे
प्रसिति या भेजने समय एत निचित विधि वा प्रयोग वरता है श्रीर प्रपिति श्रपनी
प्रतिक्रया यतत करल दृण सूत प्रपक को श्पता गन्दंश मेजता है । तप्पदचान् बह
मूल प्रपक भी म्रषना पुन कोदम दलं भजता दह । ठम प्रकार व्यावसायि स्थाणो
मे यह प्रक्रिया निरतर रुप स चतती ही रहती हैं ।
2 सदेशवाहन मे सूचनाएं एवं समझ सम्मिलित होती हि (णिग
त परहतनङा८ा7ह)-- सरपट गा द्वितीय महत्वपूगा लक्षणं यह् हमि गदेश
वाहन म मूचनाणे णर समभे भी सम्मिलित हाती है । वास्तव मे. सदेग वौ शब्दा
व श्रसुसार ने समभयर उसकी मायना व अनुसार ही समभा जाना चाहिये । यदि
सादा वे ब्रतुसार सन्दश या श्रय नगाया जाता है ता एसा सब्दश वाशिरत परिगाम
उत्पन्न नहीं बर रारेंगा ।
3 सन्देशयाहन षौ सफरता चोन एव सुनने वाते की फुशलता पर विभर
करती है--सम्देगबाहन वे सम्न प में यह भी एप सशत्वपुग्ग तथ्य है कि उसयीं
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