मोक्षशास्त्र अर्थात तत्वार्थ सूत्र | Mokshasastra Arthat Tatwarth Sutra

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Book Image : मोक्षशास्त्र अर्थात तत्वार्थ सूत्र  - Mokshasastra Arthat Tatwarth Sutra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१५ सम्यग्ज्ञानका वर्णन किया था श्रौर इस नवमें श्रध्यायमें निखय सम्यक्‌- चारित्रका (-संवर, निजेराका ) वणंन किया । इसप्रकार सम्यग्द्य न- ज्ञान-चारिचरूप मोक्षमागेका कणन पूणं होने पर श्नन्तमे दसवे अरघ्यायमे नव सूत्रो द्वारा मोक्षतत्त्वका वरणंन करके श्री जाचायंदेवने यह शाख पूणं किया है । ४. संक्षेपमे देखनेसे इस दाख्रमे निश्वयसम्यग्ददंन-सम्यग्ज्ञान सम्यग्चारित्ररूप सोक्षमाग, प्रमाख-नय-निक्षेप, जीव-झजीवादि सात तत्त्व, ऊध्वं-मध्य-अघो-यह तीन लोक, चार गतियाँ, छह द्रव्य और द्रव्य-गुण-पर्याय इन सबका स्वरूप झा जाता है। इसप्रकार आचायें भगवानने इस छास्त्रमे तत्त्वज्ञानका भण्डार बड़ी खुबीसे भर दिया है । तच्वार्थोकी यथार्थं श्रद्धा करनेके लिये कितेक विषयों पर श्रकाश ६-अ० १. सूत्र १ “सम्यग्दर्वनज्ञानचारिचारिण मोक्षमागंः'' इस सुत्रके सम्बन्घमे श्री नियमसार शास्त्र गाथा २ की टीकामे श्री पद्मप्रभ- मलधारि देवने कहा है कि “'सम्यग्ददव॑नज्ञानचारित्र:” ऐसा वचन होनेसे मार्ग तो शुद्धरत्नत्रय है । इससे यह सत्र धुद्धरत्नतय शर्थात्‌ निश्वय सोक्षमार्गकी व्याख्या करता है । ऐसी वस्तु स्थिति होनेसे, इस सुत्रका कोई विरुद्ध अथं करे तो वह झर्थे मान्य करने योग्य नही है । इस छास्त्रमे पृष्ठ ६ पैरा नं० ४ मे उस अनुसार अथं करनेमे आया है उस ओर जिज्ञासुओका ध्यान खिंचनेमे आता है । ७--सुत्र, २ “तत्त्वाथं श्रद्धानं सम्यग्दर्शनम्‌ यहा “सम्यग्दश्ेन ” शब्द दिया है वह निखयसम्यग्दर्शनहै मौर वही भ्रथम सूत्रकै साथ सुसंगत अथं है। कही शास्त्रम सात तर्वोको भेदरूप दिखाना हो वहाँ भी गतत्त्वार्थश्रद्धा' एेसे शब्द आते है वहाँ “व्यवहार सम्यग्ददंन' ऐसा उसका श्र्थं करना चाहिये । इस सुत्रमे तो तत्त्वाथेश्रद्धान दाब्द सात तत्त्वोको अमेदरूप दिखानेके लिये है इसलिये सुत्र २ “निश्चयसम्यग्दर्यन' की व्याख्या करता है ।




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