तिब्बत में तीन वर्ष | Tibbat Mein Teen Varsh

Tibbat Mein Teen Varsh by पारसनाथ सिंह - Parasnath Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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निवेदन हिन्दी पुरुतक पजंसीमाटाकी २५ वीं संख्या (तिष्बतपे तीन चर्ष' उदार पाठकोंकी सेवामें समर्पित है । यह पुस्तक जापानी यात्री श्रीयुत कावागुचीकी पुस्तकं ( {11 66 एष्धाऽ 1 1७७८!) थी इयर्स इन तिब्बतका अनुवाद है। श्रीयुत कावागुची व्युत्पन्न बौद्ध पुरोहित और विद्वान हैं। बौद्ध धर्मके केन्द तिब्बतमें ब दघमंकी शिक्षा पूरी करनेके निमित्त आपने यह यात्रा की थी । उस समय तिब्बत सर क्ारने विद शियोंके लिये तिव्बतका द्वार बन्द कर दिया था। इसोलिये कावागुची महाशयकों गुप्त द्वारसे छिपे तौरसे तिब्बतमें घुलखना पड़ा था। उसी यात्राका इसमें वर्णन है। कावागुची महाशयने अपनी दी लेखनी द्वारा अपने सारे अनुभवों और कठिनाइयॉंका वर्णन किया है । प्राकृतिक दूश्यका जो खाका उन्होने शचा है उसे पढ़कर चित्त विहर हो जाता है । श्स पुस्तकमें तिष्वतके पहाड़ी मार्गो, नदियों, भरनो, सोतोंका प्राकृतिक द्रष्य, पहाड़ी जातिर्यो- के रोतिरिवाज और रहन सहन तथा तिंब्बतमें प्रचलित रीति रिवाजका वर्णन है। पहले यात्राकी पुस्तक, दूसरे लेखकके निज्ञी अनुभव, तीकषरे प्राक तिक द्रश्यका वणेन सौर चौथे कावा. गुची मर्दीशयकी रोचक लेखनशेली, इन चारों बातोंने पुस्तकों




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