रघुवीर सहाय की काव्य चेतना और रचना शिल्प | Raghubeer Sahay Ki Kavya Chetana Aur Rachana Shilp
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
310
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सन् 1951 ई में दूसरा-सप्तक प्रकाशित हुआ। अज्ञेय जी
संपादन एवं संकलनकर्ता थे। भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन काशी द्वा यह भाग भी
प्रकाशित हुआ।
भवानी प्रसाद मिश्र, शकुन्त माथुर, हरिनारायण व्यास, शमशेर बहादुर सिंह,
नरेश मेहता, रघुवीर सहाय, धर्मवीर भारती आदि सात कवियों का इस अंक
में उल्लेखनीय योगदान रहा । यह देखा गया कि 'तार-सप्तक के प्रकाशन से
अनेकानेक विवाद उत्सन्न हुए , जिसके कारण दूसरा सप्तक की भूमिका में
अज्ञेय नै बहुत सारे विवादों का निपटारा करने का प्रयास किया
दूसरा-सप्तक के छठे प्रमुख कवि के रूप में रघुवीर सहाय अते हे
दूसरा-सप्तक के प्रकाशन के साथ ही रघुवीर सहाय की बहुत सारी कविताएं
प्रकाशित हुईं।
अपनी काव्य यात्रा में इन्होंने बच्चन ओर माथुर को याद करिया हे। अज्ञेय ओर
एमशेर बहादुर सिंह की रचनाओं से भी सहाय ने बहुत कुछ सीखा हे। वे सर्वत्र
सामाजिक यथार्थं तक पहुँचने के लिए वेज्ञानिक तरीका अपनाते है। यह उनकी
मक्सवादी चेतना हे।
क) नुत
वे शमशेर बहादुर सिंहं के ईसं वक्तव्य को स्वीकार करते हैं कि- जिंदगी में तीन 'चीजों/ बड़ी
जरूरत है। आक्सीजन, मा्सवाद ओर अपभी व शक्ल जो हम जनता में देखते
ट 3 1
7
1 दूसरा सप्तक की भूमिका सं0 अज्ञेय 1951 भातीय ज्ञानपीठ काशी,
रघुवीर सहाय का वक्तव्य , पृ0 138
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