अन्तरनाद | Antaranad
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
162
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[१]
१ मैं कया करूं
हे प्रम पितिः टै परम छपानाय।
सनादिक्राद म मभार म भटक्ता
भेटक्ता म मापे द्वार पर भाया
नाथ | सुक पर एक दृष्टि डाय्षि प्रम
की मेस्णा थी दृष्टि । मेरे दन ! मैं
जापक शरण स्मीकार वरता है... आपके
नर्णाम म जपना तवस्य नपित कर्ता
भरी ग्ना कौजिपे
जव मैं आपवी ही शरण म हूँ आपको
उध्वर में पहीं नहीं जाने का... मेरी
जाह्मा वी सारी लवावदारी से बापकों
सापता हूँ
यत्य मेरे स्वामी ! अव में
कया कहूँ ? जाप जा नी बह, मैं करने को
तया]
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