जूना बेली नुवा बेली | Juna Beli Nuva Beli
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
106
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कुरणाल
ऐतिहासिक कहारणी
गोपाल राजस्थानी
भारत र इतयास में श्रसोक एक महान सासक हिया है, इतयास रे पानां
मे उखां जड़ी वीरता, घल-विकेरम श्र तेज दूज किणीं भी राजा मे नहीं हृतौ,
पल उणमें राज विस्तार री वहौत भूख दही, उग्ए कालिग मै भारी चढ़ाई करदी,
ट्र जुहद में दोनां कांनला श्रणगण संनिक काल् रं जवं मे पचग्या, नना श्रनाथ
र्या, हजारों लुगाघ्यां विधवायां हूयगी । बद्ध भि उपगुग्न र मुजवे असोक
जद रणसेतां में पौच्यातौ धरती नलो सूः तर देखी, कटठेईं 9, कठ सीस
तो कठई फोजियां रा हाथ-पग थिखरोड़ा पडया हा श्रर वापे नरभाखी जिनाबसं
री गिडद मचियोड़ी ही । संनिकां ने॑ चिरलाटियां कुर्लाट करता देख र अ्रसोक
रे हिरदं में उथलपुथल मचगी श्रर उस नँ श्रपण श्राप मूग श्र घिरणा
श्रायगी ।
इस दरसाव रे वदि ग्रसौक युद्ध घरम नै ्रमीकार क्यौ सत~ग्रहिसा श्र
बुद्घरम में झपयीं सगली सग्ति लगाय दी, जिस श्रणोक रे मन में राज री कॉकडइ
रे पसराव री भावना ही वोईज अ्रणोकः प्व वरम सी सीवा रे फेल में लागग्पों
प्र् उवे बुद्ध धर्म प्रचार जावा, नुमातरा, लंका, रयाम दोरसियों रर् चींणा देस
तॉई करायों 1
ग्रसोक री बड़ी राखी सो राजकुमार-वुस्पाल, फूठरेपरा रो परतक मूरती हो ।
मारो सारयां इती फूठरी ही वी उग्य स्मे सायत ईज किसी दूजे री हूँ । कुराल
विद्या सो भी चायो उपासक हो, राग-रागशियोँ,
तान-नय में उवं दगन उगनी
विननो न कदो गदेयों कोनी हो । उरी प्रसधंगा कंचणा भी उवे जले र उ
सुरपायगी, ड्रिरग्गों सी ही 1
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