जैन कथामाला भाग- (26 से 30) | Jain Kathamala bhag- ((26 Se 30)

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उपाध्याय श्री मधुकर मुनि - Upadhyay Shri Madhukar Muni

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श्रीचन्द सुराना 'सरस' - Shreechand Surana 'Saras'

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१५ (५). वात्मीकीयमे ही. रवण द्वारा सीता पर वलत्छीर न करने के तीन कारण दिये: गये. हैं--(क) -युवावस्था में ही जव रावंणः ब्रह्मां के आश्रम ५ में. रहता था तव पु जिकास्थलां नाम की अप्सराः पर वलाक्ार करने के कारण “ब्रह्मा द्वारा दिया गया शाप, शुख)वैश्रवण: के पूतं नलकूवरः की वधू रम्भा -.अप्सरा के साथ वलात्‌ भोग करने के कारण नलकूवर द्वारा दिया गया श्राप :-(ग) :वरुण-युद्ध मे. विजयः प्राप्त करने. के पश्चात्‌ जव रावण अनेक स्तियो को वलात्‌ ला रहा थां तव उन पतित्रता्ओं हारा दिया सया. श्रपि 1 (६) वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण सीता को अंक में उठाकर , ले-जाता हैः. जवकि 'मानस' में. पुष्पक विमान मे विठाकर +. . , „(७ लक्ष्मण.शंक्ति लगने के. प्रसंग मे. भी.. अन्तर्‌ है.1 वाल्मीकीय में ` लक्ष्मण रावण की शक्ति -(यह्‌ शक्ति उक्षे मय दानव दारां मन्दोदरी के. विवाह अवसर पर दहेज के रूप में प्राप्त हुई. थी) द्वारा विभीषण को बचाने के प्रयास .. में.मुर्छित होते हैं'.और तुलसी .के “मानस' मे मेषनाद.की वीरघातिनी शक्ति . द्वारा ।* मानस .के अनुसार रावण ने अपनी. यह शक्ति:राम. पर त्वलाई किन्तु .. उनका कुछ न विगड़ा 1. वे केवल थोड़ी देर .को. मुर्ल्ठित हो. गए | .. .... (८) इसी प्रकार्‌ लक्ष्मण. को सचेत,करने वाला: तो , दोनों ग्रन्थों में सुषेण .. ही है.किन्वु.वाट्मीकीय में.यहं वानरः (वरूण .का पुत्र) था और तुलसी ने इसे ` लंका का वद्य वता्या है । ~ वाल्मीकीय रामायण ` युद्धकाण्ड, 'पृष्ठ ३४३ ` . वही, उत्तरकाण्ड, पृष्ठ ४७२ . वही, उत्तरकाण्ड, पृष्ठ ४६६ वही, अरण्यकाण्ड, पृष्ठ २१३ ४, तुलसीदास :रचित.:. रामचरितमानस अरण्यकाण्ड, दोहा २८ वाल्मीकीय रामायण, .युद्धकाण्ड,. पृष्ठ ४१७ , तुलसीदास : रामचरितमानस, लंकाकाण्ड, दोहा ५४ , वही, दोहा ६३ ६४ प ¦ वौल्मीकीय रामायण. युद्धकाण्ड, पृष्ठ ४१७ तुलसीदास :: रामचरितमानस, लंकाकाण्ड; दोहा.५१५ - 2 आ ल क >< < ७ 6. त बी ‡ ४




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