नागरिक शिक्षा | Nagarik Shiksha

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Nagarik Shiksha by भगवानदास केला - Bhagwandas Kela

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ३ ) गत हित कोनगर श्रौरदेश के बड़े हित के घन्पुख गोण समते, तो यद्दी नहीं, कि उस शिक्षा का उद्देश्य नष्ट दो जाता है, वरन्‌ वह, शिक्षा के श्रभाव से भी, अधिक भयंकर सिद्ध दोती दे । अध्यापक का उत्तरदायित्व मद्दान हे । यद उसका काम हे कि वद्द अपने शिष्यों के लिए इस विषय को मनोर॑जक बनाये । विद्यथियों को नागरिकता का विचार, कतंव्यों और अधिकारों का सूक्ष्म सिद्धान्तो के बणेन मात्र से नदीं दया जा सकता; इसके लए परिवार शरोर विद्यालय के जीवन के स्थूल उदाहस्णो की श्रावश्यकता है | परिवार श्र विद्यालय के जीवन में नगर शर राज्य के जीवन सम्बन्धी बहूतसे श्रच्छे दृष्टान्त मिलते हैं, श्रीर उनके, उदादरणों से विद्यार्थी नगर श्रौर राज्य के जीवन की वास्तविकता श्रच्छी तरह समझ सकते हैं । नागरिकता के उत्तरदायित्व को रच्छ तरद समभलेनेसे विद्याथियों के नैतिक भावों की ब्रद्धि होती है, श्रौर इससे वे विद्यालय के सामुहिक कार्यों में श्रघिक दिलचस्पी से भाग ले सकते हैं । इस प्रकार नागरिक विषय के अध्ययन से व्यक्तियों की सामाजिक श्रौर नेतिक चेतनता का विकास होता है, श्रौर यद्दी सब शिक्षा का वास्तविक उद्येश्य है। इस पुस्तक में इस विषय का ऐसी उत्तमता से वणुन किया गया हे कि यदद श्रौतत दर्जे के विद्यालयों के विद्यार्थियों की समभ में आसानी से श्राजाय | अतः इसका लेखक विशेषतया अध्यापकों के धन्यवाद का अधिकारी दै, जिनका शिक्षा-काय उसने सुगम कर दिया हे ।




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