कबीर | Kabir

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Kabir by रामरतन भटनागर - Ramratan Bhatnagar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रामरतन भटनागर - Ramratan Bhatnagar

Add Infomation AboutRamratan Bhatnagar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
१ कबीर का युग तांत्रिक काल के श्रत में ११९३-१२०६ के अंतगंत हमारी राजनीतिक सत्ता विदेशी शासकों के झंघीन हो गई । इसके पश्चात्‌ उत्तरी भारत पर दो राजवंशों का राज रहा। ११५६ से १५५६ तक सुलतानवंश शरोर तदुपरान्त मुगलवंश । इसके अतिरिक्त दिल्‍ली के केन्द्र में विदेशी शासकों की ही शक्ति रही › परन्तु समस्त राजपताना, वुन्देलखंड, बघेलखंड अदिमें हिन्दू शासकोंका ही राज रहा। अतएव 'ाधे उत्तर भारत में स्वदेशी राज्य थे। देशी शासक पूर्णतया लुप्त नहीं हुए थे । प्रद्यपि दिल्‍ली के साम्राज्य के अंतग त बसने वाली प्रजा राजनीतिक दृष्टि से विदेशी सत्ता के अधोन थी) क्योकि ग्रामीण जनता विदेशी सत्ता के सम्पक में नहीं आ सकी थी । सन्‌ १४२७ में राजनीतिक क्षेत्र में परिवतन हुआ । अंतिम खुलतान ९ [हीम लोदी क समय में बाबर का आक्रमण हुखा आर पानीपत के क्तेत्र मे उसकी विजय से मुगल साम्राज्य की स्थापना हुई । मि ति की दृष्टि से सुलतानों ने भारतीय संस्कृति को सखमभने का प्रयत्न नहीं किया यर न उन्होने उसमें हस्तक्षेप किया परन्तु बहुत बड़ी संख्या में हिन्दू जनता धमं परिवतन करके मुसलमान हो गई जिसङ़े फलस्वरूप मुसलमानों के भी दो दल--विदेशी मुसलिम अर नबमुसलिम हो गये। शासकों को भारतीय संस्कृति के प्रति सहानुभूति नहीं थी ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now