साम्प्रदायिकता से ऊपर उठो | Sampradayikata Se Upar Utho
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
261
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उनकी निर्भीकता, कमेंठता भौर स्वाजित-गरिमा वास्तव में ही प्रेरक
भौर चमस्कृत कर देने वाली है ।
“साम्प्रदायिकता से ऊपर उठो” में उनके विभिन्न लेखों का
ओ उपयोगी भ्रौर जीवन्त ग्रह भाई श्री विपिन जारोली ने किया है,
उसमें मेरी एक कल्पना साकार हुई है जो कुछ वषं पहले मेरे मन में
भाई भौर मैंने भ्रादरणीय श्री जैन के समक्ष स्पष्ट की थी । लेखों का
यह बहुप्रायामी संग्रह श्री जैन के प्रंतरंग का सम्पूण छायाचित्र प्रस्तुत
कर देता है । उनके सपनों को बखूबी व्यक्त कर देता है । लेखों में
विषय, देण, काल की विविधता होते हुए भी विचारों की एकलक्षयता
भौर सत्य की स्पष्ट घोषणा उसे बिखरने नहीं देती है ।
नवयुवक विचारक जहां इन लेखो से प्रेरणा भौर मागे-दर्शन
प्राप्त करेगा, वहां समाज की बुजुर्ग पीढ़ी सोचने-समकने के लिए एक
नई खुराक प्राप्त करेगी । पृस्तक क भ्रषिकाधिक प्रचार-प्रसार हो;
यही मंगल कामना ।
भागरा -भीचन्द सुराणा सरसः
दिनांक ६/६/१६९७६ लेखक एवं पत्रकार
[दे]
पं० श्री 'चदय' जैन के विभिन्न लेखों को संकलित करके
'साम्परदायिकता से ऊपर उठो पुस्तक रूप में श्री जैव शिक्षण संघ
कानोड़ प्रकाशित कर रहा है, यह जानकर खुशी हुई । झपने इस लेख-
संग्रह में श्री 'उदय' जैन, जन समाज की एकता पर महत्त्वपूर्ण योगदान
कर रहे हैं ।
ऐसे भच्छे पुस्तक के प्रकाशन के लिये श्री जैन शिक्षण संघ
कालोड़ की मैं सफलता चाहता हूं भोर शुमेच्छायें प्रदान करता हूं ।
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