कुन्दकुन्द - शब्द कोश | Kund Kund Shabd Kosh

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Kund Kund Shabd Kosh  by उदयचन्द्र जैन - Udaychnadra Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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$ वि [युत] नेत्र से रहित अवलम्बन। (पचा ४२) अचक्छुजुदवि य ओहिणा सहिय अचल वि [अचल] निश्वल, दृढ़, स्यायी। (प्रव ज्ञे १००, नियं १७७, बो १२) णिच्च अचल अणालब। (निय १७७} अचरित्त न [अचरित्र] आचरणविहीन, सयमरहित, ब्रतरहित। (स १६३) अचरित्तो होदि णायव्वो। (स १६३) अचित्त वि [अचित्त] जीवरहित, अचेतन। (स २२०, २२१, २३९, २४३, २० मो १७) आदसहावादण्ण, सच्ित्ताचित्तमिस्सिय हवदि (मो १७) अचिरेण अ [अचिरेण] जल्दी, शीघ्र, थोड़ा । (स १८९. प्रव ८८) लहई अचिरेण अप्पाणमेव। (स १८९) अचेदण वि [अचेतन ] चैतन्यरहित, निर्जीव । (पचा १२४, स॒ ६८, १११,३२८ प्रव ज्ञे ३५) एदे अचेदणा खलु। (सं १११) -त्त वि [त्व] अचेतनता। (पचा १२४) तेसि अचेदणत्त। अचेल्ल न [अचल] वस्त्ररहित, वस्त्रत्याग, मुनियो का एक गुण। प्रव चा ८) लोचावस्सकमचेलमण्हाण। (प्रव चा ८) अचोक्ड वि [दे] मलिन, अशुद्ध, अपवित्र। द्रा ४३) भरियमचोक्छ॒देह। (दवा ४३) अचोरिय न [अचौर्य] अचौर्य, चोरीरहित, लूटरडित, शील का एक गुण, त्रत का एक भेद । (शी १९) अचोरिय बभवचेरसतोसे। (शी १९) अच्चत वि [अत्यन्त] अत्याधिक, आजीवन, हमेशा, लगातार,




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