नेत्र दान | Netra Dan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
74
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ सिहल-द्वीप का एक संघाराम । रात काफी बीत चुको है।
मक्तों की भीड़ छंट गई है ।
संघाराम के मभ्य-भाग में स्थित भिश्च महेन्द्र का विद्वार ।
महेन्द्र अपने आसन पर अद्धप्यानावस्थित अवस्था में बेठे हैं ।
उनसे थोड़ी दूर पर भिश्ुणी संघमित्रा बेठी है ।
विहार के एक कोने म॑ एक दीप-दंड पर शन-वत्तिका दीप
जल रहा है । उसकी कुछ बत्तियाँ बुक चुकी हैं । राष्र की लौ
मी धीरे-घीरे धीमी दोती जा रही है ।
महेन्द्र की पकें जरा दिलती हैं। संघमित्रा उनसे
पूछती है-- ]
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