शरत की सूक्तियाँ | Sharat Ki Suktiyan
श्रेणी : संदर्भ पुस्तक / Reference book
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
126
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शरत्की सूक्तियोँ ६
रारीचीके कष्ट भोगनेकी विडम्बनासे कमो मदखको नहीं पाया जा
सक्ता; हौ, पाया जा सक्ता हे तो थोडे-से ठस्भ ओर अहम्मन्यताको ।
--रोष प्रश्च
रारीवी या अभाव इच्छासे आावे या इच्छाके विरुद्ध जाये, उसमें गये
करने लायक कुछ नहीं होता । उसके भीतर हे यून्यता, उसके भीतर हे
कम ज्ञोरी, उसके भीतर है पाप ।
--रोप्र प्र
आनन्द तो नहीं, बल्कि निरानन्द ही मानो उस (हिन्दू समाज) की
इस सभ्यता और भदताका अन्तिम लच्य चन गया हैं ।
-शेप प्रश्न
मनुप्यका डुख ही यदि दुनख पानेका अन्तिम परिणाम हो तो
उसका कोद मूल्य नहीं हे ।
-शेष प्रथ
दुखी छोगॉकी कोई अर्हदा जाति नदी हे, र हुःखका भी कोई
वेधा हुमा रास्ता नही हे । सा हो तो सभी उसे वचाकर चरु सकते ।
जे --देना पावना
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