जाति - निर्णय | Jati-nirnaya

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Jati-nirnaya by शिवशंकर जी - Shivshanker Ji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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के भूमिया # ९ उपस्थित दोती है । इस पर साय्य शाख रामायण मद्दामारत भागघत भादि के मनेक प्रमाणों और यड्टी २ युक्तियाँ से मजुप्य में एक दी जाति पाई जासी है या ९६ पृष्ठ से सारम्म करे सिख फिया है । ४--पुनः इसी के अन्तगंत चैदिकों को यद्द सम्देद्र उपस्थित दो सफता है कि पश्च जन पश्चमानय आदि दाप्दो से तय फ्या भाधय लिया जायगा ह इसका उत्तर दूर घलके ३४० पृष्ठ से दिया दे 1५-पुन इसी के आम्यम्तर यदि मनुष्य में एक दी जाति है सप पाणिनि सन्वादि मददर्पियों ने याझण सिय वैध्य और धाद्दों फे ल्ये परथक्‌ २ जाति शब्द के मयोग क्यो किए हैं ऐसी शका दोती दे । इसका समाधान ९३ पृष्ठ से भारम्म कर कहा है । इसी फे मसग से नाति चर्ण दाय्दों के प्रयोग और इतिहास कहते हुए मिनर स्यवसायियों छा०/०्डा००81 के १७२ नाम गिनाके प्रथम प्रकरण फो समाप्त किया दे । दितीय प्रकरण-९९५ से २९१ सक | यदद व्यवसाय एफ०क्छाएए सम्पन्धी है । इस में ९.४ क्चार्मों के प्रमाण अर्थ सद्दित फे गये हैं। ध-प्रथम मकरणस्थ म्ययसायियों शछणण्शशाणणता फ०्ण के नाम सम समावत यदद सन्देद उत्पन्न होता दे कि बेदों में किन २ व्यापार वाणिज्य ध्यय साय का कौशल थादिकों की और किम किन पोष्य पश्टुमों की श्रचा है । घे भ्ययसायीं साजकल के समान क्या सीखव+ करन




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