जिनराजसूरी-कृत-कुसुमांजलि | Jinrajsuri Krit Kusmanjali

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Jinrajsuri Krit Kusmanjali  by अगरचंद नाहटा - Agarchand Nahta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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&४. श्री नेदिषेणा गीत १० साधुजी न जइयइ जी पर घर एकला ७५ १५. श्री गज़सुकुमाल मुनि गीतम. & सवेग रस माहि फोलतड ७६ ६६. श्री स्थुलिभद्र गीतम. ३ थूलिभद्र न्यारी भाति तिहारी ७५ &3. श्री विजय सेठ विजया सेठानी गोतम. ३ श्रालो घन्‌ वो प्रिय धन वा प्यारो39 ६६. श्री दमयन्ती सती गीतम ११ छोड़ि चल्यउ नराद्‌ ७्थ ६६. श्री सती कलावती गीतम. £ बांहे पहिरचा बहरखा ७६ १००. श्री मयरारेहा सती गीतम्‌. ७ लघु बाँघव जुगबाहु नइरे हां ८० १०१ श्री सीता सती गीतम. ५ जब कह तुक धनबास रे ८१ १०२. श्री सती सीता गीतम, ६ लखमजी रावीर जौ हो जीवनं दर रामायण सम्बन्धो चद्‌ १०३. म दोदरी वाक्यम. ३ मदोदरी बार वार इम भाखह्‌ ८४ १०४. म दोदरी वाक्यम, 3 भ्राज पीडउ सुपनदइ खरी डराई ८४ १०५. म दोदरी वाक्यम. ३ सीयकी भीर रघुवीर धायड . ५ १०६. सीता विरह ३ सीय सीय करत पीय ८५ १०७. राम वाक्य सुभटानामर £ भ्रसुरपति भ्रापरि कमाई तदं ०६ १०८. हनुमत वाक्यम्‌ ३ जु कछु रघु राम कहइ सोऊ करिहुं ८६ (ए)




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