मीरा एक अध्ययन | Meera Ek Adhyayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ड ) को ही मीरा का सत्य-जीवन मानना चाहिये। संभव हे किं इसके कारण आजकल का हमारा सवं-मान्य एतिहासिक सत्य गलत पड़ जाय अत: एक बार फिरसे हमको एक नया प्रयास ,एकदम नूतन दृष्टिकोण से करना पड़े । यह प्रयास भी स्तुत्य होगा । साहित्यिक-वुष्टिकोण से महत्व रखने वाला मीराँ कं पदों का सवे-प्रथम संग्रह वेलवेडियर प्रेस से प्रकाशित हुआ । इसके अनन्तर कईं अन्य संग्रह प्रकाशित हुए ओर अव तक होते आ रह हैं । मुझको ऐसे कुल तीस संग्रह के नाम प्राप्त हो सके परन्तु दुर्भा- ग्यवद् बीस ही सुलभ रहे हूं । 'हिन्दी-साहित्य-सम्मेलन प्रयाग' द्वारा स्वीकृत दो पुस्तकें, एक श्री परशुराम जी चतुर्वेदी द्वारा सम्पादित 'मीराँ बाई की पदावली' की और दूसरी डाक्टर श्री कृष्ण लाल द्वारा लिखित 'मीराँ बाई' ही मेरे अध्ययन का विषय रही हे । अद्यावधि 'मीराँ बाई की पदावली' ही सर्वाधिक प्रामा- णिक मानी गईं हूं । प्रस्तुत पुस्तक में दिये गये कुछ दो चार उद्ध- रणो को छोड़ कर शेष सभी उद्धरण 'मीराँ बाई की पदावली' से लिये गये हूं। साथ ही यह भ स्याल रखा गया हं किं अपने सम- थन मं वसेहीपदया पदांश दिये जाय जो कि अधिकाँश प्राप्त संग्रहो मे मिलते हं ओर सवेमान्य रूपेण मीराँ के ही समझे जाते हं । कुछ उद्धरण भमीराँ-माधुरी' सें भी दिये गये हं जिसका उल्लेख कर दिया गया हे । यद्यपि ये विशेष पद 'मीराँ बाई की पदावली' में प्राप्त नहीं हं तथापि अन्य अधिकां संग्रहों में प्राप्त हो जाते हें । कुछ अन्य उद्धरण लोक-गीतों से भी दिये गये हें । यहाँ एक और बात भी विशेष ध्यान देने योग्य है । विभिन्न




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