अनाथ भगवान भाग - 1 | Anath Bhagawan Bhag - 1
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
360
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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फिर चायो कासार करानमे ल्या गया है श्रौर कूरानकासार
उसकी पहली आयत मे दिया गया है--
चिंखमिल्लाह रदिमाने रदीम ।
इस एक हो आयत मे कुरान का सार किस प्रकार समाविष्ट है,
यह् एक विचारणीय बात है । परन्तु जव इस आयत मे 'रद्दिमान
'और 'रद्दीम' यह दोनों आगये तत्र कुपन मे और कया शेष रहं
गया ? हमारे यदो भी कहा गया है कि--
दया धर्म का मूल दे
दया शब्द में दो ही अक्षर हैं, परन्तु क्या उससें सभी धर्मों
का सार नहीं आ जाता है ? या सव धर्मौ का सार है, यह बात
कुरान, पुराण या वेद शास्र से ही नही, वरन् अपने अन्त करण
से भी जानी जा सकती है । कल्पना कीजिए, आप जगल है
'और कोड मनुष्य तलवार लेकर राता है और आपकी जान लेना
चाहता दै । तव भाप उस मनुष्य मे क्या कमी देखेंगे १ यदी छि
उसमे दया नहीं है |
इसी समय कोई दूसरा मनुष्य आता है भौर उस दुष्ट
मलुध्य से कहता है “भाई, इसे मत मार । अगर मारना हयै है तो
डमे मार डाल । अब आप इस दूसरे मनुष्य में क्या विशेषता
देखेंगे ? आप यही कह्देंगे कि वास्तव से इस मनुष्य मे द्या की
विशेषता है इससे दया का शुर है ।
भरदन यड हे कि यह बात आप किस प्रश्मर जान सके ? इसका
उतर आप यौ दंगे कि हम अपने अन्त.करण से ही यह् बात
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