अनाथ भगवान भाग - 1 | Anath Bhagawan Bhag - 1

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Anath Bhagawan Bhag - 1  by जवाहरलालजी महाराज - Jawaharlalji Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( & ) फिर चायो कासार करानमे ल्या गया है श्रौर कूरानकासार उसकी पहली आयत मे दिया गया है-- चिंखमिल्लाह रदिमाने रदीम । इस एक हो आयत मे कुरान का सार किस प्रकार समाविष्ट है, यह्‌ एक विचारणीय बात है । परन्तु जव इस आयत मे 'रद्दिमान 'और 'रद्दीम' यह दोनों आगये तत्र कुपन मे और कया शेष रहं गया ? हमारे यदो भी कहा गया है कि-- दया धर्म का मूल दे दया शब्द में दो ही अक्षर हैं, परन्तु क्या उससें सभी धर्मों का सार नहीं आ जाता है ? या सव धर्मौ का सार है, यह बात कुरान, पुराण या वेद शास्र से ही नही, वरन्‌ अपने अन्त करण से भी जानी जा सकती है । कल्पना कीजिए, आप जगल है 'और कोड मनुष्य तलवार लेकर राता है और आपकी जान लेना चाहता दै । तव भाप उस मनुष्य मे क्या कमी देखेंगे १ यदी छि उसमे दया नहीं है | इसी समय कोई दूसरा मनुष्य आता है भौर उस दुष्ट मलुध्य से कहता है “भाई, इसे मत मार । अगर मारना हयै है तो डमे मार डाल । अब आप इस दूसरे मनुष्य में क्या विशेषता देखेंगे ? आप यही कह्देंगे कि वास्तव से इस मनुष्य मे द्या की विशेषता है इससे दया का शुर है । भरदन यड हे कि यह बात आप किस प्रश्मर जान सके ? इसका उतर आप यौ दंगे कि हम अपने अन्त.करण से ही यह्‌ बात




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