डूंगरपुर राज्य का इतिहास | Dungarpur Rajya Ka Itihas
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15.2 MB
कुल पष्ठ :
314
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about महामहोपाध्याय राय बहादुर पंडित गौरीशंकर हीराचन्द्र ओझा - Mahamahopadhyaya Rai Bahadur Pandit Gaurishankar Hirachand Ojha
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)के शंहारावल उद्यसिंह कि ही ५ ७७४ भोस उसे निकालकर वहां का स्वामी चल गया । रायंमल ते चिंतोड़ पड इंडर के राव रायमल को... कर खुपसिद्ध महाराणा संग्रामसिंद सांगा गद्दी दिलनि मे उंदयरसिद की शरण ली । उसकी कुलीनता के कारण की सद्दायता महाराणा ने उसे अपने यहां रखा श्औौर झापनी पुत्री का संबंध भी उसके साथ कर दिया। कुछ समय पीछे भीम थी सर गया और उस झीमे का पुन सारमल इंडर का स्वामी बना | मद्दाराणा सांगा ने रायमल को पुनः गद्दी दिलाने के लिए झापनी सेना झेजी जिसमें सस्पिंलित होने के उद्देश्य से महाराविल उद्यसिंह के नाम थि० स० १४५७० माघ खुदि ४ इं० स० १५१४ ता० ३० जनवरी को पत्र भेजा । महारावल भी झपनी खेंना सहित महाराणा के सैन्य में सम्मिलित हो गया। इस सस्मि- लित सेना ने सारमल को दृटाकर इंडर पर फिर रायपल का अधिकार करा दिया जिससे सारमल युजराव के सुल्तान के पास चला गया। हिं० स० ९२० दि० सें० १४७१० इं० स० १४१४ में युजरात के सुलतान उुज़फ्फ़रशादद दूसरे ने इंडर पर शारमल का अधिकार करा देने के लिए अहमदुनगर के स्वामी निज़ामुस्सुरुक को झुक्म दिया । निज़ा- मुल्सुरक ने रायमल को इंडर से निकाल दिया श्र पहाड़ों में उसका पीछा किया जिसमें उस निज़ासुल्सुरुक को बहुत हानि उठानी पड़ी । एक बार एक सार के सामने उस निज़ासुस्सुरक ने महाराणा संग्रामसिंद के लिए कुछ अपशब्द कहे । भाट-द्वारा महाराणा को निज़ासुस्सुस्क की गुस्ताखीं का हाल मालूम होने पर बह बहुत कुद्ध हुआ ओर उसने गुजरात पर चढ़ाई कर दी । महाराणा चित्तोड़ से रवाना होकर बाड़ में होता डुआआा ड्रेगरपुर पहुंचा । उस समय राबल उदयसिंह सी झपनी खेना लेकर सहा- राणा के साथ हो गया। इस सम्मिलित सैन्य के प्रभाव से भय खाकर तिज़ा- सुल्सुल्क सागकर अद्मदनगर चला गया । इधर महाराणा ने इंडर के राज्य पर किर रायमल का अधिषेक कर दिया । चहां से आगे बढ़कर महदां- राणा ने झाइमदनगर को जा घेरा तो सुसलमानों ने किले के दरवाज़े बन्द कर युद्ध झारम्भ किया | इस युद्ध में बागड़ का पक नामी सरदार--
User Reviews
No Reviews | Add Yours...