भ्रमर | Bhramar
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.84 MB
कुल पष्ठ :
69
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
गोविन्द प्रसाद शुक - Govind Prasad Shuk
No Information available about गोविन्द प्रसाद शुक - Govind Prasad Shuk
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)के. पा. पर. ., ८... : असर ।
हैं, किर्तु वीर नहीं सौर ने उनको युद्ध से. मेम हो हैं । सर्चदा
पैकार्त हो में रहना वे झधिक् 'एसन्द करते हैं। पढ़गें की
पुस्तक मिक्ष जाने से खाना पीना भी भूल जाते थे ।
_.. से खबंदर चिस्तित चित्त रहा करते, पर चित्त बड़ा उदार
है, वीन डुःखियों के दुम्ली को दूर करता वे. अपना. कर्तव्य
समझते थे । हो जाने पर सी मे सदा सादे
से ही रहा करते, श्राइंस्वर तो उन्हें छू. तक. नहीं गया थों 1
गरदयपि संबारी के लिये बड़े बड़े सतबासे दाथी, सुन्दर सजीलें
तेज घोड़े इस्यादि झनेक वाहन हर समय मौजूद रहा करने थे
किन्तु वे उनको व्यवहार, में कमी नहीं लाते शर ब्रहं
साधारण चेश में गाँव गाँव मजा की देखरेख किया करते
थे! दीन, द्रिंद्रों पर इष्टि पड़ते दो सहाचुभूति अगद वार
तथा उनके कहीं के दूर करते की चेछा करने को भी सैयार
बे झपने कुमारसिंद के साथ भी शार्दिक-स्नेह. के
सायही पितू तुस्य मक्ति रखते तथा उनकी आशा को पालन
करना -झपना, कर्सब्य समझते थे। कुसारसिंह भी लज़ित-
सिंह को पुब के समान ही प्यार करने थे!
7 चुद अमरसिंह जी को कई सन्तनें हुई थीं, किर्त
कमारसिंद को दोड़ संब की सब अकाल हो में है,
खुकी यो । यही कारण था दि महाराणा कुमारसिंह को
माय से बढ़ कर प्यार करते थे। कुमारसिंह और .खलिस
सिंह में परस्पर सदसाव देख कर ही यथार्थ में शोक रे
जर्जर अवस्था मी महाराणा हुआ । बची क्यों
मारबाड़ निवासी भी सोखंते थे कि सहाराशा के पीछे नी
मश्रचाड़ का गौरघ किसी प्रकार कम नहीं होगा । लि
User Reviews
No Reviews | Add Yours...