आरमेनिया की लघु कहानियाँ | Aarameniya Ki Laghu Kahaniyan

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Aarameniya Ki Laghu Kahaniyan by विभा देवसरे - Vibha Devasare

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आमस री किया है। दमिरचियान ने कथा के स्वरूप और घटनाओं तथा कथानक की गंभीरता के माध्यम से अंतरमन के मनोवैज्ञानिक तथा दार्शनिक सुक्ष्मताओं को अभिव्यक्त करने का प्रयत्न किया है । ऐसी ही एक चौंकाने वाली कथा है *अनावश्यक”, जिसमे अपराघ करने तथा अपराधो की प्रक्रिया मनोवज्ञानिक विश्लेषण और दार्शनिक विचारों के वातावरण में चलती है । उनकी कई वर्षो नाद लिखी गयी फूलों की किताब में उच्च स्तरीय दाशंनिक चिन्तन है और इसमें आरमेनियाई लोगों के अस्तित्व एवं उनकी अध्यवसायी प्रवृत्ति के संबंध में कई विशिष्ट प्रन उठाए हैं । उनके कथा वृत्तांत 'पादरी' और 'भुख' में भी चित्तनशील' सनोवज्ञानिक सुक्ष्मताओं के दर्शन होते हैं । ए० ईसाहकियान ने भी तुमानियान की तरह साहित्य के लोकप्रिय आधारों को ही स्वीकार किया और आम आदमी के जीवन को साहित्य में भभिव्यक्त करने की महत्वपूर्ण भूमिका भदा की । इसके साथ ही बह मनुष्य से जुड़े हुए जीवन भौर मृत्यु, मनुष्य के होने और उनके अस्तित्व के अर्थ से संबंधित अनेक प्रदनों के उत्तर जानने के लिए भी प्रयत्तशील थे । उनके ये प्ररन उनकी कविता 'अबुल अल मारी' और अन्य अनेक पद्य एवं गद्य रचनाओं तथा चर्चाओं में बड़ी गहराई से व्यक्त हुए हैं । ये रचनाएं सन्‌ 1927 में लिलिट, 'प्राच्यदुष्टि' वीषंक से प्रकाशित हुई थीं! उनकी कहानी “सादी का अंतिम वसंत' इसी में से ली गयी है । ईसाहकियान जीवन के दार्शनिक हैं । उन्होंने जीवन के अतिरिंक विषयों जैसे जीवन कौ अनित्यता, जीवन का प्रेम, वसंत का भागमन भौर मृत्यु पर विचार व्यक्त किए हैँ) उनकी यह्‌ विचारधारा सादी के जीवन से बहुत प्रभावित रही है, विशेषकर इन पंक्तियों द्वारा जिन्हें सादी ने गुलिस्तां मे लिखा है 'हम अपनी इच्छा से नहीं जन्मे हैं, हम तो इस अचरज लोक में सिर्फ जीते हैं और हम लालसाएं लेकर मर जाते हैं इस तरह इसहाकियान को पुर्वे के विचारों ने अपनी चिश्नोपमता, संवेदनात्मकता, दारशनिकता और गंभीरता के कारण बहुत प्रभावित किया । इसहाकियान ने अपनी अनेक रचनाओं में से ऐसे प्रदनों के उत्तर खोजे हैं जिनका संबंध जीवन के अर्थ से है भ्रौर मानव अस्तित्व तथा मृत्यु के रहस्यों को समभने की कोद्चिदा भी है । ब्ही० टोटोवेन्स और ए० बाकुंट्स, भारमेनियाई गद्य साहित्य के दो प्रति- निधि लेखक हैं जिनकी साहित्यिक रचनाओं ने सन्‌ 1910 से 1920 के बीच हुए सघन साहित्यिक अन्वेषण युग में बहुत सहयोग दिया है । यह आत्मकथात्मक उपन्यास है श्रौर इसे उन्होंने अलग-अलग कहानियों तथा कथाओं के रूप में लिखा है । थे




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