मैकबेथ का पद्यानुवाद | Maikabeth Ka Padyanuvad

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Book Image : मैकबेथ का पद्यानुवाद  - Maikabeth Ka Padyanuvad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हुसरा हृष्य डंकन सारजेंट मंकचेथ ३ दो तैराक, थके, श्रापसमे यथे हृए हो, एक दूसरे के कर-बस को कूठित करते । निदेय मैकडनवाल्ड (वागियो मे वद्-चद्कर, जिसमे दुनिया के सव दुर्गुण कुट-कुटकर भरे हुए है ) लाया है पच्छिमी दीपसे घुडसवार, पैदल सिपाहियो का दल रण मेः; उनका कौशल देख लगा पल भर को जैसे जीत उसीकी किस्मत मे है : लेकिन किसका भाग्य रहा थिर ? आ्राखिर को कमजोर पड़े वे, महाबली मेकवेथ--उसका यह्‌ उचित विशेषण- ले नंगी तलवार, शनुदल के शोणित कौ प्यास मचलती थी जिसकी जिह्वा मे, करता हु्रा अ्रवज्ञा भावी की भ्रागे बद श्राया, खड़ा हो गथा नर पिशाच के सम्मृख एसे, जसे उसका वनकर काल कराल खडा हो; उसे न श्राये बढने दिया, न पीछे हटने और अचानक सीना उसका चाक कर दिया, नाभी से ले हलक तलक, बस एक वार में, शीश काटकर टाँग दिया खेमो के आ्रागे । घत्य वचघु तुम ! घन्य तुम्हारा है बल-विक्रम । : कितु जहाँ से रवि दिंटकाता छवि की किरणे, रीक वही से उत्ते है तूफान भयंकर जिनमे पड़कर नौकाए इवा करती है । जिस निश्वरसे शांति उतरती जान पडी थी




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