परिवार में परमाणु | Parivar Mein Parmanu
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
366
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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मसलन सं 4 का बात
श्रले जाड़ीं में फरमी स्थायी रूप से रोम था गये और श्रपने पिता
शर्वो चर वदन मेरिया के साभ *छिता गियार्दिनो ` के एक छोटे-से
अकान में रहने लगे।
* सिता-गियार्दिनों * ( बागों वाला नगर मध्यम श्राय के सरकारी कर्म
च्वारियों के लिए सरकारी सद्दायता से बनी गदयोजना थी । उसका निमोंण
रोम सै उत्तर-पूर्व कुछ दूर, १९२० शरीर १९२५ के बीच मैं, हुया था।
उस समय उस बस्ती में केवल एक परिवार के रहने लायक छोटे-छोटे ऐसे
मकान ही थे जिनके चारों छोर बगीचे थे । रहने वालों को थोड़ा-सा किराया
देना पता था ¡ पीस वपो मे वे उन मकारे के मालिक वन जाने वाले थे ।
प्सिता-गियार्दिनो› का उत्तरी दोर रेल के कर्मचारियों के लिए. सुरक्षित
भा] फरमीकेषरितामी उरी वर्गंके धे । प्रतः उषी ते मँ उन्देनि मी
' पए धोटरा-सा मक्रान लिया था श्रौर १९२५ के जो मे श्चपनी वेदी के
सथ पर चते प्रपि ये । फरमी क माता-पिता दोनें ही नये मकान मैं जाने को
उत्सुक थे; पर फरमी की माता मकान को पूरी तौर से तैयार न देखे सकी ।
२९२४ के बसंत में ही उनका देहांत हो गया | फरमी के पिता भी उसका
मुख श्रषिक दिनों तक न भोग सके-१९२७ में वे भी चल बसे |
उस मकान में मे तभी जा पायी जब १९२८ के प्रारम्म में करमी के
साथ मेरी मैंगनी दो गयी । उससे पइले मैंने उसे बादर से ही देखा था !
परमी के प्रति थपने श्रनजाते ध्यार्कर्पण से प्रेरित होकर, एक यार मै
* सिता-गियार्दिनों * को हूँद कर * मॉजिनेवरा रोड दोती हुई वहतक पैदल गयी
थी । परमी के मकान को सम्बर शेर था । वह एक पद्ाड़ी की तलइटी में
उ पारी के उपर था जिसमें से एनाइन नदी ( टाइवर के संगम से पूर्व
गती दै। सष्क के नारे स्ये की नीची चदारदीवारी के ऊपर सोदे
सचेंटीले घड़ लगे थे। दास मैं ही लगायी गयी * इवा ” की लताएँ उन लोड के
लड़ी पर चढ़ने के लिए प्रयत्नशील थीं । मकान चहारदीवारी मे व फट
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