परिवार में परमाणु | Parivar Mein Parmanu

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Parivar Mein Parmanu by ज्ञानचन्द्र - Gyanchandra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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५ अ ~$ 0 [> ब्‌ मसलन सं 4 का बात श्रले जाड़ीं में फरमी स्थायी रूप से रोम था गये और श्रपने पिता शर्वो चर वदन मेरिया के साभ *छिता गियार्दिनो ` के एक छोटे-से अकान में रहने लगे। * सिता-गियार्दिनों * ( बागों वाला नगर मध्यम श्राय के सरकारी कर्म च्वारियों के लिए सरकारी सद्दायता से बनी गदयोजना थी । उसका निमोंण रोम सै उत्तर-पूर्व कुछ दूर, १९२० शरीर १९२५ के बीच मैं, हुया था। उस समय उस बस्ती में केवल एक परिवार के रहने लायक छोटे-छोटे ऐसे मकान ही थे जिनके चारों छोर बगीचे थे । रहने वालों को थोड़ा-सा किराया देना पता था ¡ पीस वपो मे वे उन मकारे के मालिक वन जाने वाले थे । प्सिता-गियार्दिनो› का उत्तरी दोर रेल के कर्मचारियों के लिए. सुरक्षित भा] फरमीकेषरितामी उरी वर्गंके धे । प्रतः उषी ते मँ उन्देनि मी ' पए धोटरा-सा मक्रान लिया था श्रौर १९२५ के जो मे श्चपनी वेदी के सथ पर चते प्रपि ये । फरमी क माता-पिता दोनें ही नये मकान मैं जाने को उत्सुक थे; पर फरमी की माता मकान को पूरी तौर से तैयार न देखे सकी । २९२४ के बसंत में ही उनका देहांत हो गया | फरमी के पिता भी उसका मुख श्रषिक दिनों तक न भोग सके-१९२७ में वे भी चल बसे | उस मकान में मे तभी जा पायी जब १९२८ के प्रारम्म में करमी के साथ मेरी मैंगनी दो गयी । उससे पइले मैंने उसे बादर से ही देखा था ! परमी के प्रति थपने श्रनजाते ध्यार्कर्पण से प्रेरित होकर, एक यार मै * सिता-गियार्दिनों * को हूँद कर * मॉजिनेवरा रोड दोती हुई वहतक पैदल गयी थी । परमी के मकान को सम्बर शेर था । वह एक पद्ाड़ी की तलइटी में उ पारी के उपर था जिसमें से एनाइन नदी ( टाइवर के संगम से पूर्व गती दै। सष्क के नारे स्ये की नीची चदारदीवारी के ऊपर सोदे सचेंटीले घड़ लगे थे। दास मैं ही लगायी गयी * इवा ” की लताएँ उन लोड के लड़ी पर चढ़ने के लिए प्रयत्नशील थीं । मकान चहारदीवारी मे व फट




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