क्या मैं अन्दर आ सकता हूँ | Kya Main Andar Aa Sakata Hun

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Kya Main Andar Aa Sakata Hun by लक्ष्मीचन्द्र जैन - Laxmichandra jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सवाल वनाम सिगरेट १७ तो वे कहने हैं, “कला क्यो ? व्यवसाय क्यो नही !“ जब उनसे कोई कहता है ! “साहव, घर्म--” तो वे कहते है, “धर्म क्यो ? झ्रायुनिक राजनीति क्यो नही ?“ जव उनसे कोई कहता है, “साहव, सास्कृति्र घिक्षा--' तो वे कहते हैँ, “सास्कृतिक शिक्षा कयो ? उद्योग करो नहीं ! ” जव उनसे कोई कहता हैँ, “साहव, प्रेम--' तो वे कहते है, “प्रेम यो ? स्त्री बयों नहीं ! (या कोर्ट कोर : “पुरुद क्यों नहीं 1”) जव उनसे कोई कहता है । “साह्व, गन्ति-- तो वे कहते है, “शान्ति क्यो * विजव क्यो नरी 1 जब उनेने कोई कहता है, “साहव, एक सवाल--” तो वे कटूते है, “सवात क्यो ? सिगरेट क्यो नही 7?




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