महामति प्राणनाथ कृत कुलजम स्वरूप और इस्लाम - धर्म | Mahamati Prananath Krit Kulajam Swaroop Aur Islam - Dharm

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Mahamati Prananath Krit Kulajam Swaroop Aur Islam - Dharm by अन्सारूल हक अन्सारी - Ansarool Hak Ansari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शक बार उन्हीं के साध श्री मेहिराण थी नौतनपुरी | जामनगर में जी देववन्द थी के दक्ष टद गये। उस मय जी मैहराण थी की आयु केवल 12 वर्ष 2 मात की थी। प्रथम मिहनी बालकं जी मैहराण ठाइुर गुरू के दिव्य प्रकाश में एक अनोबे पुंख का उनुमत प्राप्त किया। साथ ही श्री देववन्द भी भी बरी मेहिरान ठाकुर के अन्त:करण की पिंशेषन ताज है अवगत हुए | आपसी आकर्षण के विकास मेँ युरू- शिष्य का ल्प धारण किया तथा श्री दैववन्द भी नै शी मैहरान ठार कौ अपने आाभ्म में ता रत़म्य की दोक्षा दी। वरत्पकष्पाव श्री मेहिराण ठाकुर गुरू आी देवचन्द थी के अनन्य भक्त इन गये तथा उन्हीं के ताथ रहने मैं मुख का अनुभव करने लगे। मुह ओ दैवचन्द णी रवं दीक्षा महामाति प्राणनाध के दीक्षा गुरू का नाम श्री देवपन्द था,उनका मन्म तिन्य में उमरकोट” नामक स्थान पर ।। अक्टूबर सन्‌ ।58| मैं हुआ धा। आप एकं सम्पन्न कपप {विवादास्पद कायस्थ परिवार मैं उत्पन्न हुए थे। जी देववन्द मी के पिता का नाम आर महू मेहता और माता का नाम हुज़ीमती हुृँवरिबाई था। जी देववन्द माता-पिता के इकलीवे पुत्र वै। ॥ इती कारणवे पूणा-पाठम भौ मात्रा-पित्रा के ताध-सथ उपिथत रहते हि सयः




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