जिण विध राखे राम | Jin Vidh Rakhe Ram
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
160
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गढ़ीं हय जादे । केई सुगायां सुका मरगी मर कर देवे
४ ॐ ब
भोडगीत रंमृगां पारय मूनीहयगी श्रू लाग1 मण्या र
चै'रे माथ प्रकर प्रनीव मी उदासी छायगी ।
हैड वनजो शृन्दरृन री तरफ यू बडेप्रादमी रे हाया इनाम वंट-
दाय । सोवनदी रौ नाव वारन्वार बीलीजे । गाव वाछा री तरफ सू
ई सोवनकी रो रसभरी बोजी भर भोछी-माछ़ी सूरत सार ईनाम
दिराइजे ॥
सीवनकी रे थीना री चरचा भरारों गाव मोप चालू रेवे । सोदनकी
रे लारले गोत री श्रोटमा याद करता हाफेई लुगाया र॑ नेणा मू
भ्रासु डा दुलकं ।
सोदनवी रे. घरवाा ने घणी जुशी । दें ग्रापरो लाहैसर कवरी
ने घगी प्रीत सू पाठ ।
मगीत वाछी बन जी री उछाव बबम्यों । इस्कूल साय सोबनकी
में घी नेह भू गीत सीसाविंगाप सरू दारे । सीवनकी पेटीवाजे (हार-
मोनिधम) मार्थ गीत गादे श्र थीने वजावएँ-री अभ्यास करे । दो-
अ्रंक साल माय सोबनकी पेटीदाजों खुद ई बजा श्रर गीत गावणो
सीख जावे ।
जद कदे गाव रे मिन्दर माथे भजन कीतेन हुव, वं गिरधारी
सोदनकी ने सागे ले जादे । सोदनकी भजन गाव जद सुरान चाठा
माथे जादू फिराबे । गाव रो मानीजता लोग सोवनकी में कईन कई
माल-मंत्तो देवे-दिशादे ।
ज्यू जय सोवनेकौ दधनौ जावे, क्निासां षाम करती जावे ।
छेवट गाव रौ इस््रूल भर दमदी ताईं पास कर तेवं ।
जिण विष रार्ख राम | १३
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