जिण विध राखे राम | Jin Vidh Rakhe Ram

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Jin Vidh Rakhe Ram by शिवराज छंगाणी - Shivraj Chhangani

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गढ़ीं हय जादे । केई सुगायां सुका मरगी मर कर देवे ४ ॐ ब भोडगीत रंमृगां पारय मूनीहयगी श्रू लाग1 मण्या र चै'रे माथ प्रकर प्रनीव मी उदासी छायगी । हैड वनजो शृन्दरृन री तरफ यू बडेप्रादमी रे हाया इनाम वंट- दाय । सोवनदी रौ नाव वारन्वार बीलीजे । गाव वाछा री तरफ सू ई सोवनकी रो रसभरी बोजी भर भोछी-माछ़ी सूरत सार ईनाम दिराइजे ॥ सीवनकी रे थीना री चरचा भरारों गाव मोप चालू रेवे । सोदनकी रे लारले गोत री श्रोटमा याद करता हाफेई लुगाया र॑ नेणा मू भ्रासु डा दुलकं । सोदनवी रे. घरवाा ने घणी जुशी । दें ग्रापरो लाहैसर कवरी ने घगी प्रीत सू पाठ । मगीत वाछी बन जी री उछाव बबम्यों । इस्कूल साय सोबनकी में घी नेह भू गीत सीसाविंगाप सरू दारे । सीवनकी पेटीवाजे (हार- मोनिधम) मार्थ गीत गादे श्र थीने वजावएँ-री अभ्यास करे । दो- अ्रंक साल माय सोबनकी पेटीदाजों खुद ई बजा श्रर गीत गावणो सीख जावे । जद कदे गाव रे मिन्दर माथे भजन कीतेन हुव, वं गिरधारी सोदनकी ने सागे ले जादे । सोदनकी भजन गाव जद सुरान चाठा माथे जादू फिराबे । गाव रो मानीजता लोग सोवनकी में कईन कई माल-मंत्तो देवे-दिशादे । ज्यू जय सोवनेकौ दधनौ जावे, क्निासां षाम करती जावे । छेवट गाव रौ इस््रूल भर दमदी ताईं पास कर तेवं । जिण विष रार्ख राम | १३




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