पुनर्जीवन | Punarjivan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
50 MB
कुल पष्ठ :
504
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दूसरा अध्याय ११
और अपने पतिकों एके कमरेमें छुकिला पाकर उसने कटूशाकों पीटना
शुरू किया । कट्ूदाने अपना बचाव किया और इन दोनोंमें मुरफीट”
हो गयी | कटरा निकाल दी गयी; ओौरशछसे उसकी तनख्वीह भी
नहीं मिली ।
इसके बाद कटूशा अपनी मौसीके साथ दाहरमें रहने श्री गयी |
इसका मोसा जिट्दबन्दीका काम करता था और खुदहाछ था | लेकिन
अब इसके सब गाहक इसके हाथसे निकर गये थे ओर इसने शराव
पीना शुरू कर दिया था | इधर-उधरसे जो कुक इसे मिलता कलारीमं
जाकर खर्च कर आता । कटूदाकी गौती कपड़ा घोनेका काम करती थी
और तद्ह अपना; अपने बच्चोंका, और अपने कमबख्त पतिका
गुजर बसर चल्मती थी । कटशाकों बेरोजगार देखकर उसकी मौसी ने
_ कटूशासे कहा कि यदि तुम कपड़ा धोनेमें मेरी मदद किया करो तो त॒
कुछ आमदनी हो सकती है । लेकिन कटूदाने यह देखकर कि कपड़ा
घोनेके काममें कितनी तकलीफ और परेशानी है, इस कामको करना
सन्द नहीं किया । उसने रजिस्ट्रीके दफ्तरमें जहाँ बेरोजगारोंको मौक-
रियाँ दिलायी जाती हैं, दरखास्त मेज दी | उसे एक महिलाके यहाँ
नौकरी भिर गयी । यह् महिला अपने दो लड़कोंके साथ, जो स्कूठमें
पढ़ते थे, इसी शरम रहती थी । कटरछाको नौकर हुए अभी -सात दिन
भी नहीं हुए थे कि बड़े लड़केने जिसे मूछें निकछ आयी थीं; पढ़ना
लिखना छोड दिया ओर कटाक पीछे पड़ गया । यह जटा जाती वहीं
वह भी जाता) छ्ड्केैकी मनि सव दोष कट्ूदाके ऊपर डाल, उसे
नौकरीसे अलग कर दिया |
नोकरीके अनेक व्बथं प्रयत्नोके बाद कदटशा एक दफा फिर रजिद््री-
के दफ्तरमें गयी । वहाँ उसे अपने नंगे मोटे हार्थोमें बाजूबन्द पहने एक
ख्री मिली जिसकी अधिकांश अशुल्योंमें अँगूठियों थीं] यह जानकर कि
कटूशाकों नौकरीकी बहुत जरूरत है उसने इसे अपना पता बताया और
अपने घर बुलाया । कटूणा इसके यहाँ गयी । इस ओरतने कटूशाका
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