पुनर्जीवन | Punarjivan

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Punarjivan by महात्मा टाल्स्टाय - Mahatma Talstay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दूसरा अध्याय ११ और अपने पतिकों एके कमरेमें छुकिला पाकर उसने कटूशाकों पीटना शुरू किया । कट्ूदाने अपना बचाव किया और इन दोनोंमें मुरफीट” हो गयी | कटरा निकाल दी गयी; ओौरशछसे उसकी तनख्वीह भी नहीं मिली । इसके बाद कटूशा अपनी मौसीके साथ दाहरमें रहने श्री गयी | इसका मोसा जिट्दबन्दीका काम करता था और खुदहाछ था | लेकिन अब इसके सब गाहक इसके हाथसे निकर गये थे ओर इसने शराव पीना शुरू कर दिया था | इधर-उधरसे जो कुक इसे मिलता कलारीमं जाकर खर्च कर आता । कटूदाकी गौती कपड़ा घोनेका काम करती थी और तद्ह अपना; अपने बच्चोंका, और अपने कमबख्त पतिका गुजर बसर चल्मती थी । कटशाकों बेरोजगार देखकर उसकी मौसी ने _ कटूशासे कहा कि यदि तुम कपड़ा धोनेमें मेरी मदद किया करो तो त॒ कुछ आमदनी हो सकती है । लेकिन कटूदाने यह देखकर कि कपड़ा घोनेके काममें कितनी तकलीफ और परेशानी है, इस कामको करना सन्द नहीं किया । उसने रजिस्ट्रीके दफ्तरमें जहाँ बेरोजगारोंको मौक- रियाँ दिलायी जाती हैं, दरखास्त मेज दी | उसे एक महिलाके यहाँ नौकरी भिर गयी । यह्‌ महिला अपने दो लड़कोंके साथ, जो स्कूठमें पढ़ते थे, इसी शरम रहती थी । कटरछाको नौकर हुए अभी -सात दिन भी नहीं हुए थे कि बड़े लड़केने जिसे मूछें निकछ आयी थीं; पढ़ना लिखना छोड दिया ओर कटाक पीछे पड़ गया । यह जटा जाती वहीं वह भी जाता) छ्ड्केैकी मनि सव दोष कट्ूदाके ऊपर डाल, उसे नौकरीसे अलग कर दिया | नोकरीके अनेक व्बथं प्रयत्नोके बाद कदटशा एक दफा फिर रजिद््री- के दफ्तरमें गयी । वहाँ उसे अपने नंगे मोटे हार्थोमें बाजूबन्द पहने एक ख्री मिली जिसकी अधिकांश अशुल्योंमें अँगूठियों थीं] यह जानकर कि कटूशाकों नौकरीकी बहुत जरूरत है उसने इसे अपना पता बताया और अपने घर बुलाया । कटूणा इसके यहाँ गयी । इस ओरतने कटूशाका




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